Manipur Violence: हिंसा की भेंट चढ़ी करोड़ों की ऑर्गेनिक फार्मिंग, किसानों की कमाई को लगा गहरा धक्का

Manipur Violence: हिंसा की भेंट चढ़ी करोड़ों की ऑर्गेनिक फार्मिंग, किसानों की कमाई को लगा गहरा धक्का

मणिपुर हिंसा ने न केवल घर-बार फूंके हैं बल्कि कई सेक्टर को भी बर्बाद कर दिया है. इसमें सबसे प्रमुख है यहां की ऑर्गेनिक फार्मिंग जिसमें केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपये का निवेश किया है. हिंसा के चलते ऑर्गेनिक फार्मिंग के साथ इसका निर्यात भी चौपट हो गया है. हालात बहुत बिगड़ गए हैं.

मणिपुर हिंसा ने कृषि और व्यापार को बहुत अधिक प्रभावित किया है (फोटो साभार-India Today/PTI)मणिपुर हिंसा ने कृषि और व्यापार को बहुत अधिक प्रभावित किया है (फोटो साभार-India Today/PTI)
क‍िसान तक
  • Imphal,
  • Aug 12, 2023,
  • Updated Aug 12, 2023, 7:30 AM IST

उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसा जारी है. जानमाल की हानि के साथ कई क्षेत्रों में बर्बादी ऐसी है जिसका अंदाजा लगाना आसान नहीं. यहां तक कि उसकी भरपाई भी मुश्किल ही दिखती है. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है मणिपुर की खेती और वहां का व्यापार. मणिपुर में इन दोनों सेक्टर को एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकते क्योंकि यहां का व्यापार पूरी तरह से कृषि पर आधारित है. चूंकि हिंसा के चलते लोग अपना घर-बार छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, इसलिए खेत-खलिहान भी सूने पड़ गए हैं. ऐसे में न खेत बचा है और न उसकी देखरेख करने वाला किसान. जब खेती ही नहीं बची तो भला व्यापार कैसे बच सकता है. यही हाल अभी मणिपुर का है.

इंफाल में इकोनॉमिक एंड रिसोर्स डिपार्टमेंट ऑर्गेनाइजेशन के सेक्रेटरी जनरल शांता नाहकपम 'India Today' को बताते हैं कि मणिपुर हिंसा ने किसी तरह से कृषि और व्यापार को गहरे संकट में धकेल दिया है. वे कहते हैं, मणिपुर का व्यापार पूरी तरह से खेती पर आश्रित है लेकिन पिछले तीन महीने से यह बहुत बुरे हालात में है. कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है जिसे व्यापार चौपट हुआ है. चुराचंदपुर में कोई सामान नहीं आ रहा है और न ही कोई सामान वहां से इंफाल पहुंच पा रहा है. 

हिंसा पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

नाहकपम कहते हैं, ड्राइवर सामान नहीं ले जा रहे हैं. कंवेंस रेट में सीधा तीन रुपये की वृद्धि हो गई है. पहले यह चार रुपये था जो अब बढ़कर सात रुपये हो गया है. इससे हर तरह की महंगाई बढ़ गई है. मणिपुर पूरी तरह से कृषि प्रधान राज्य है जहां से कृषि उत्पाद विदेशों में निर्यात किया जाता है. 

ये भी पढ़ें: Manipur Violence: ऐसे तो 'भुखमरी' में समा जाएगा मणिपुर, खून ख़राबे में चौपट हुई खेती…डिटेल रिपोर्ट

नाहकपम बताते हैं कि केंद्र सरकार ने मणिपुर में ऑर्गेनिक प्राकृतिक खेती में 200 रुपये का निवेश किया है. कोरोना के आने तक यहां का बिजनेस अच्छा चल रहा था. लेकिन कोविड से इसे धक्का लगा. इससे अभी उबर ही रहे थे कि हिंसा शुरू हो गई. केंद्र सरकार ने 2016 में मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना शुरू किया. इसका प्रभाव अच्छा देखा गया और रुपये-पैसे की कमाई अच्छी होने लगी. तभी कोरोना का प्रकोप हो गया.

पहले कोरोना ने मारा और अब हिंसा

यहां कृषि उत्पादों के निर्यात से बहुत अच्छी कमाई होती रही है. खासकर अनन्नास, अदरक, हरी मिर्च का निर्यात बड़े पैमाने पर होता रहा है जिससे यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत रही है. लेकिन हिंसा ने इसे बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है जिससे यहां का हर आदमी परेशानी में है. 

"मणिपुर में 2020 के कोरोना काल से पहले हम अकेले अदरक का लगभग 20 करोड़ रुपये का कारोबार करते थे. जब कोरोना से लोग संभल रहे थे, तो यह स्थिति हो गई, जिससे व्यापार पूरी तरह से नष्ट हो गया है. हम अब शून्य पर हैं. अब मणिपुर से कुछ भी कोई भी निर्यात नहीं कर रहा है." नाहकपम ने कहा. 

फसल नहीं काट पा रहे किसान

हिंसा के कारण 'बफ़र ज़ोन' बनाया गया है, जिसका उपयोग कृषि के लिए किया जाता था, लेकिन गोलीबारी की घटनाओं के कारण कोई भी फसल काटने नहीं जा रहा है. वृक्षारोपण जो मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था में नकदी ला रही थी, उसमें रुकावट देखी जा रही है. 

ये भी पढ़ें: अब स्पेशलिटी खादों का जमाना है, फल और सब्जियों की खेती ने बढ़ाई इसकी मांग

नाहकपम के अनुसार, 2022 में लगभग 200 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ, हालांकि 2023 कृषि, व्यापार और व्यवसाय के लिए बहुत अंधकार भरा लग रहा है. नाहकपम कहते हैं, "राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है. आम आदमी की जो आय होती थी, वह खत्म हो गई है. पिछले साल कोरोना के बाद भी कृषि अर्थव्यवस्था से लगभग 200 करोड़ रुपये का कारोबार होता था. अभी जो हालात है उससे 50 करोड़ का भी बिजनेस नहीं हो पाएगा. आगे देखने वाली बात होगी क्या होता है."

MORE NEWS

Read more!