महाराष्ट्र के चंद्रपुर में अदानी समूह के अंबुजा सीमेंट कंपनी के खिलाफ किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है. गुस्से में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का अनोखा रास्ता अपनाया है. जमीन के बदले नौकरी की मांग को लेकर शुक्रवार सुबह छह किसान बीएसएनएल के टावर पर चढ़ गए और अंबुजा सीमेंट कंपनी के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया. करीब 200 फिट ऊपर चढ़ कर किसान अपनी मांगों को लेकर आक्रामक हो गए. किसानों ने ‘गो बैक अंबुजा गो बैक, गो बैक अदानी गो बैक’ के नारे लगाते हुए मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी.
किसानों की मांग है कि उनको जमीन के बदले नौकरी मिले, नहीं तो वे अपनी जमीन वापस मांग रहे हैं. किसान यहां लंबे दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और वे अंबुजा कंपनी से नौकरी की मांग उठा रहे हैं. किसानों की शिकायत है कि जो रेट उन्हें मिलने चाहिए, वो नहीं मिले और कंपनी में नौकरी मिलने का भी वादा था जिसे पूरा नहीं किया गया है. कंपनी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर किसान बड़ी संख्या में अंबुजा सीमेंट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
दरअसल 1998 में चंद्रपुर के गोंड़पिपरी तहसील के 12 गावों के 520 किसानों की 1200 हेक्टर जमीन सीमेंट कंपनी की ओर से अधिग्रहित की गई. तब किसानों को कुछ रुपये और जमीन के बदले परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का एग्रीमेंट किया गया. लेकिन 25 साल बीतने के बावजूद भी आज तक नौकरी देने का वादा पूरा नहीं किया गया. वहीं बार-बार प्रशासन और सरकार से गुहार लगाने के बावजूद किसानों की अनदेखी की गई. इसीलिए गुस्साए किसानों ने आंदोलन का रास्ता अपनाते हुए टावर पर चढ़ कर आंदोलन शुरू कर दिया. वहीं किसानों की और से जबतक मांगें पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी गई.
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किसानों द्वारा आंदोलन छेड़ते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया. पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और सरकारी अधिकारी किसानों को समझाने में जुट गए लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे. अडानी समूह की अंबुजा सीमेंट कंपनी के खिलाफ किसान टावर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं किसानों ने आरोप लगाया कि उनके साथ 25 सालों से अनदेखी की गई.
अब किसान इस अनदेखी के खिलाफ विरोध में टावर पर चढ़ गए और अदानी ग्रुप के विरोध में नारेबाजी की. किसानों का कहना है कि मुआवजे का पूरा पैसा और नौकरी का वादा पूरा नहीं होगा तो वे आंदोलन जारी रखेंगे. हालांकि किसानों से प्रशासन की बातचीत चल रही है और उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि किसान और कंपनी के बीच कुछ न कुछ बात बन जाएगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.