Kashmiri Kesar Price: कश्मीरी केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. इसे कश्मीर का गोल्ड भी कहा जाता है. पूरी दुनिया में अपनी शुद्धता और गुणवत्ता के लिए मशहूर कश्मीरी केसर मुख्य रूप से घाटी के पुलवामा और बडगाम जिले में उगाया जाता है. जीआई टैग मिल जाने के बाद से कश्मीरी केसर वैश्विक मानचित्र पर अपनी खास जगह बना चुका है. वहीं इसके कीमतों में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है. दरअसल, कश्मीरी केसर के स्वाद का आनंद लेने के लिए आपको चांदी की कीमत से अधिक पैसा खर्च करना पड़ सकता है. कश्मीर के केसर की कीमत एक ही साल में दो लाख रुपये प्रति किलो से बढ़कर तीन लाख रुपये प्रति किलो हो गई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब लोगों को 10 ग्राम कश्मीरी केसर के लिए 3,250 रुपये चुकाने होंगे, जो 47 ग्राम चांदी की कीमत के बराबर है. कश्मीरी केसर की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी के पीछे के मुख्य कारणों में से एक जीआई टैग का मिलना बताया जा रहा है.
कश्मीर के केसर उगाने वाले किसानों को फसल की क्षति और बाजार में कम कीमतों के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि, जीआई टैग मिलने के बाद फसल को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है जिससे कश्मीरी किसानों के लिए भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी फसल बेचना आसान हो गया है.
जीआई लेबलिंग उन उत्पादों की पहचान करने में मदद करती है जिनकी एक क्षेत्र विशेष में उत्पत्ति होती है और उनमें दुनिया के अन्य हिस्सों में उत्पन्न समान उत्पादों की तुलना में प्रीमियम गुण होते हैं. जीआई टैग की मदद से उस उत्पाद के निर्माता उसे राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसानी से बेच पाते हैं. इसके अलावा, जीआई लेबल वाले उत्पाद के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उत्पाद के गुण, विशेषताएं अनिवार्य रूप से उसके मूल स्थान के कारण हों.
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दुनियाभर में कश्मीरी केसर की भारी मांग है. वहीं, कश्मीरी केसर का ज्यादातर इस्तेमाल बिरयानी और कई खाद्य व्यंजनों में रंग, स्वाद और सुगंध के लिए किया जाता है. कश्मीरी केसर का प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी बीते कुछ वर्षों में बढ़ गया है, जिससे उन किसानों को खुशी हुई है जो लगातार उपज में गिरावट देख रहे थे. बता दें कि कश्मीर केसर दुनिया की एकमात्र जीआई टैग वाली केसर है.
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जीआई टैग मिल जाने के बाद अब अमेरिका, कनाडा और यूरोप में कश्मीरी केसर की डिमांड बढ़ गई है. यहां के खरीदार भी कश्मीर से केसर की खरीदारी करने लगे हैं. मालूम हो कि ईरान का केसर कश्मीरी केसर के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी दिक्कतें खड़ी करता है. इसे कश्मीर का केसर बताकर बेचा जा रहा था. हालांकि, कश्मीर केसर को जीआई टैग मिल जाने के बाद से ईरानी केसर को भारतीय केसर के रूप में बेचने से रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है.