पंजाब के इस किसान ने अपने खेत को बना दिया बकरों की इंटरनेशनल मार्केट, जानें डिटेल

पंजाब के इस किसान ने अपने खेत को बना दिया बकरों की इंटरनेशनल मार्केट, जानें डिटेल

किसान बलविंदर सिंह मान का कहना है कि आज उनके खेत में लगने वाले बाजार में हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल समेत दूसरे राज्यों के बकरी पालक आते हैं. साथ ही नेपाल और बांग्लादेश से भी ग्राहक बकरे-बकरी लेने आते हैं. बकरीद के मौके पर एक-एक ग्राहक 200 से 250 बकरों की बुकिंग कराता है. 

बीटल नस्ल का बकरा. फोटो क्रेडिट-किसान तकबीटल नस्ल का बकरा. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jul 02, 2023,
  • Updated Jul 02, 2023, 3:16 PM IST

कुछ वक्त पहले तक बकरी को गरीब की गाय कहा जाता था. पंजाब में तो बकरी पालन करने वालों को गरीब मान लिया जाता था. लेकिन आज पंजाब ही नहीं देशभर में बकरी पालन की तस्वीर बदल चुकी है. बकरी का दूध उत्पादन के मामले में भारत का दुनिया में पहला नंबर है. अगर पंजाब की बात करें तो यहां के एक किसान ने अपने खेत को ही बकरों की इंटरनेशनल मार्केट बना दिया है. देश के दूसरे राज्यों के साथ ही इस बकरा बाजार में नेपाल और बांग्लादेश तक से ग्राहक बीटल बकरे खरीदने आते हैं. 

हाल ही में इस किसान बलविंदर सिंह मान को गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधि‍याना ने मुख्यमंत्री अवार्ड से सम्मानित किया है. गडवासु के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह की मानें तो आज पंजाब में 100 से 150 बकरियों के बड़े फार्म हैं. 

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ऐसे हुई थी बकरों की इंटरनेशनल मार्केट की शुरुआत 

गांव तुंगवाली, जिला बठिंडा, पंजाब के रहने वाले किसान बलविंदर सिंह मान ने किसान तक को बताया कि साल 2017 में मैं पास के गांवों से नौ बकरियां खरीदकर लाया था. कुछ वक्त  के बाद इन बकरियों ने 18 बच्चे दिए. तीन से चार महीने के होने पर उन बच्चों  को मैंने बेच दिया. बच्चों को बेचने के बाद हाथ में जो रकम आई उससे नौ बकरियों की लागत निकल आई. कम वकत में ज्यादा मुनाफे का मुझे इससे बढ़कर कोई और काम नहीं लगा. इसलिए इसी रकम में कुछ और पैसे मिलाकर 12 बकरियां और ले आया. इस तरह मैंने इस कारोबार को बढ़ाना शुरू कर दिया.  
 
लेकिन परेशानी ये थी कि बकरे-बकरियां बेचने के लिए कोई बाजार नहीं था. बकरी पालक अपना माल बेचने के लिए कहां जाए. या फिर खरीदने वाले आएं तो कहां आएं. इसलिए मैंने गुरुवार के दिन अपने खेत में ही बकरों की मंडी लगानी शुरू कर दी. मैं अपने बकरे-बकरी ले आता और पास के गांवों से भी कुछ लोगों को बुला लेता. साथ ही आसपास के इलाके में बकरा मंडी का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया. कुछ लोगों ने हमारे मंडी के बारे में सोशल मीडिया पर भी लिखना शुरू कर दिया. लोग फोटो भी डालते थे.  

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बकरीद के मौके पर मिलते हैं सात से आठ हजार रुपये ज्यादा 

बलविंदर सिंह मान ने बताया कि हमारी साउथ इंडिया की कई पार्टी ऐसी भी हैं जो हमारे बाजार से बकरा खरीदकर उसे खाड़ी देशों में एक्सपोर्ट करती हैं. इसके अलावा बकरीद से एक महीने पहले बकरों की बुकिंग शुरू हो जाती है. अगर मैं अपने ही ग्राहकों की बात करूं तो एक ग्राहक 200 से 250 बकरों की बुकिंग कराता है. साथ ही इस मौके पर बकरों के रेट भी अच्छे मिल जाते हैं. आम दिनों के मुकाबले एक बकरे पर सात से आठ हजार रुपये ज्यादा का मुनाफा होता है. मेरे अपने फार्म में आज 400 बकरे-बकरियां हैं. बाजार से और माल खरीदकर ग्राहकों की डिमांड पूरी करता हूं. 

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