Rice Export: क्या इंडोनेशिया को चावल देगा भारत? दोनों देशों के बीच चल रही रस्साकशी, जानें पूरा मामला

Rice Export: क्या इंडोनेशिया को चावल देगा भारत? दोनों देशों के बीच चल रही रस्साकशी, जानें पूरा मामला

इंडोनेशिया ने यह दावा किया है कि चावल इंपोर्ट को लेकर भारत से एमओयू हुआ है. जबकि, व्यापार और आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि इंडोनेशिया पिछले कुछ समय से भारत के साथ दस लाख टन चावल इंपोर्ट करने के लिए बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई समझौता (एमओयू) नहीं हुआ है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला-

चावल एक्सपोर्ट करने को लेकर इंडोनेशिया से नहीं हुआ कोई एमओयू, सांकेतिक तस्वीर चावल एक्सपोर्ट करने को लेकर इंडोनेशिया से नहीं हुआ कोई एमओयू, सांकेतिक तस्वीर
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Jun 20, 2023,
  • Updated Jun 20, 2023, 12:36 PM IST

पिछले कुछ दशकों में देश में धान की उपज में बढ़ोतरी हुई है. यही वजह है कि पिछले कुछ दशकों में चावल के एक्सपोर्ट में भी बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, भारत का चावल निर्यात पिछले फसल वर्ष के 129.47 मिलियन टन की तुलना में चालू फसल वर्ष (जुलाई 2022-जून 2023) के दौरान बढ़कर 135.54 मिलियन टन पहुंच गया है. यानी चावल एक्सपोर्ट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं, भारत आने वाले वक्त में इंडोनेशिया 10 लाख टन चावल निर्यात कर सकता है. दरअसल, बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार व्यापार और आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि इंडोनेशिया पिछले कुछ समय से भारत के साथ दस लाख टन चावल इंपोर्ट करने के लिए बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई समझौता (एमओयू) नहीं हुआ है. 

वहीं, भारत में आधिकारिक सूत्रों ने इनकार किया है कि चावल व्यापार के लिए इंडोनेशिया के साथ किसी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जैसा कि कुछ समाचार एजेंसियों, विशेष रूप से इंडोनेशियाई समाचार एजेंसी अंतरा द्वारा रिपोर्ट किया गया था. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला- 

'चावल इंपोर्ट करने के लिए हुआ एमओयू'

अंतरा ने इंडोनेशिया के व्यापार मंत्री जुल्किफली हसन के हवाले से कहा था कि उनके मंत्रालय ने एल नीनो को ध्यान में रखते हुए भारत से एक मिलियन टन यानी 10 लाख टन चावल इंपोर्ट करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. दरअसल, थाईलैंड, वियतनाम और भारत जैसे धान की खेती करने वाले देशों को डर है कि अल नीनो से उनकी फसलें प्रभावित हो सकती हैं और एशिया में कम वर्षा और सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है.

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वहीं कासिकोर्न बैंक की सहायक कंपनी, थाईलैंड कासिकोर्न रिसर्च सेंटर के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में चावल के उत्पादन में 6 फीसदी की गिरावट आ सकती है. भारत में, वर्तमान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान बारिश 37 प्रतिशत कम है. इसके परिणामस्वरूप 16 जून तक धान का रकबा 14.6 प्रतिशत कम हो गया है.

'खरीद का समय तय नहीं'

इंडोनेशिया के व्यापार मंत्री जुल्किफली हसन ने कहा है कि एमओयू में भारतीय चावल की कीमत और उपलब्धता शामिल है. हालांकि, खरीद का समय तय नहीं किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार से सरकार के बीच एमओयू पहले से है. इस साल, अगर हमें उनकी ज़रूरत है, तो हम उन्हें खरीद सकते हैं. गौरतलब है कि हसन का यह बयान जकार्ता द्वारा अपने रसद ब्यूरो पेरुम बुलॉग को 20 लाख टन चावल इंपोर्ट करने की मंजूरी देने के बाद आया है.

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चावल निर्यात करने के लिए नहीं हुआ कोई एमओयू

हालांकि, नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि चावल एक्सपोर्ट सौदे पर इंडोनेशिया के साथ अभी तक कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ है. व्यापार सूत्रों ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया पिछले कुछ महीनों से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक कुछ भी नतीजा नहीं निकला है. हालांकि, एक अन्य व्यापार सूत्र ने कहा कि सौदा जल्द ही होने की संभावना है, क्योंकि द राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TREA) नई दिल्ली में इंडोनेशियाई दूतावास के संपर्क में है.

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