देश में भीषण गर्मी का सितम शुरू हो गया है और कई राज्य लू की चपेट में हैं. वहीं मैदानी क्षेत्र में जब भी तापमान 40 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है तब लू या हीट वेव का असर दिखने लगता है. मौजूदा वक्त में यूपी और बिहार के लोग लू या हीट वेव से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. दरअसल, यूपी और बिहार में भीषण गर्मी और हीटवेव से 90 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बलिया जिले में भीषण गर्मी और लू के कहर के बीच पिछले चार दिनों में 57 लोगों की मौत हो गई है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर लू या हीट वेव क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं और इससे खुद को पशुओं को कैसे बचा जाए-
मैदानी क्षेत्र में जब भी तापमान 40 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है तब लू या हीट वेव का असर दिखने लगता है. आइएमडी के मुताबिक, जब कभी मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो हीट वेव या लू चलने लगती है और यह स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है. वहीं अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि को हीट वेव कहते हैं. जो आमतौर पर तीन या अधिक दिनों तक रहता है. एक बात और अगर किसी क्षेत्र में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है. इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हीट वेव चलने लगती है.
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लू लगने के कारण शरीर में कुछ ऐसे संकेत नजर आते हैं जिसके लक्षण आपको नजरअंदाज नहीं करने चाहिए. जानिए इनके बारे में-
• कमजोरी महसूस होना.
• सिर दर्द होना, उल्टी होना या महसूस होना.
• तेज पसीना और झटका जैसा अनुभव होना.
• चक्कर आना.
• मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना अधिक आना.
लू या हीट वेव की वजह से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में गर्मी के मौसम में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें-
• साफ पानी ज्यादा पिये ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारी से बचा जा सकें.
• हल्के, ढीले ढाले सूती वस्त्र पहनें ताकि शरीर तक हवा पहुंचे और पसीने को सोख कर शरीर को ठंडा रखें.
• धूप में बाहर जाने से बचें, अगर बहुत जरूरी हो तो धूप के चश्मे, छाता, टोपी और जूते या चप्पल पहनकर ही घर से निकलें.
• यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखें.
• ज्यादा गर्मी होने ओआरएस का घोल पियें.
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गर्मी बढ़ने के साथ ही पशुओं को लू लगने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में पशुओं को भीषण गर्मी और लू से बचाव के लिए हवादार पशुगृह अथवा छायादार वृक्ष के नीचे रखें जहां सूर्य की सीधी किरणें पशुओं पर न पड़े. इसके अलावा, पशुगृह को ठंडा रखने के लिए दीवारों के ऊपर जूट की टाट लटकाकर उस पर थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी का छिड़काव करना चाहिए ताकि बाहर से आने वाली हवा में ठंडक बनी रहे. साथ ही पशुओं को चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम में देर से भेजना चाहिए.
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