नाम में क्या रखा है? ये शेक्सपीयर कि मशहूर लाइन है. अब भला आप भी सोचेंगे कि वाकई नाम में क्या रखा है लेकिन नाम में रखा तो बहुत कुछ है. क्योंकि त्रिपुरा से लाए हुए एक शेर के जोड़े को जब पश्चिम बंगाल के चिड़ियाघर भेजा गया तो उसके नाम पर सवाल उठे. ऐसे में कई लोगों ने आपत्ति जताई कि अकबर नाम के शेर को सीता के साथ क्यों रखा जाए और ये नाम रखा क्यों गया.
अब देखिए अस्पतालों में जब बच्चे जन्म लेते हैं तब उनके घर वाले धर्म और मजहब के हिसाब से नाम रखते हैं. अब आप सोचेंगे कि भला ये चिड़ियाघर में रहने वाले जानवरों का नामकरण कैसे होता है. चलिए जानते हैं आखिर कैसे रखा जाता है चिड़ियाघर के जानवरों का नाम और क्या होता है नामकरण का प्रोसेस?
नामकरण कि ये पूरी प्रक्रिया समझने के लिए हम पहुंचे दिल्ली चिड़ियाघर. जू डायरेक्टर आकांक्षा महाजन कि माने तो नाम के पीछे कोई रॉकेट साइंस नही है. दरअसल, जब भी चिड़ियाघर में किसी ऐसे जानवर का जन्म होता है जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा हो तो उसका नाम रखना बहुत जरूरी होता है. अब अगर स्थिति लंबे इंतजार की हो तो कई बार नामकरण भी वन मंत्री द्वारा किया जाता है या फिर प्रशासन जानवर का नामकरण करता है.
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अब चिड़ियाघर तो आप भी कई बार चिड़ियाघर गए होंगे तो आपने सुना होगा कि किसी हाथी का नाम विष्णु है तो किसी हथनी का नाम लक्ष्मी है. जैसे दिल्ली चिड़ियाघर में एक अफ्रीकन हाथी है जिनका नाम शंकर रखा गया. इन नाम के पीछे कई बार तर्क होते हैं और कई बार यह नाम यूं ही रख दिए जाते हैं.
अब आपके मन में नाम नाम को लेकर एक और सवाल होगा कि क्या यह उन जानवरों के लिए हुआ है जिसका लंबे समय से इसका इंतजार किया जाता है. लेकिन चिड़ियाघर में आमतौर पर हजारों जानवर रखे जाते हैं तो फिर उन सभी के नाम कैसे रखे जाते हैं? इसके जवाब में चिड़ियाघर के अधिकारी ने कहा कि प्रशासन की ओर से हर जानवर का नाम नहीं रखा जाता है. अधिकांश जानवरों के नाम उनके रखवालों द्वारा रखे गए हैं, ये कीपर वही हैं जो जानवरों को खाना खिलाते हैं और उनके बाड़ों को साफ करते हैं. उन्हें नहलाने से लेकर उनकी पूरी दिनचर्या का काम करते हैं.
आप यह भी जानकर चौंक जाएंगे की नाम रखने के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह भी होती है. दरअसल चिड़ियाघर के अधिकारी ने बताया कि अगर जानवरों के नाम नहीं रख जाए तो उनका कीपर के साथ संबंध नहीं बन पाएगा. चिड़ियाघर में उन्हें एक ऐसा माहौल देने की कोशिश की जाती है जिससे जानवर स्वस्थ और सुखी रहें. ऐसे में उनको एक नाम से पुकारा जाता है. हर जानवर को उसकी चाल-ढाल और उसका व्यवहार देखकर ही नाम दिया जाता है. कई बार कीपर अपने मन मुताबिक जानवर को जिस नाम से पुकारने लगता है सभी उसे फिर वही कहकर बुलाने लगते हैं.