जानें कैसे और कितने दिन में जीरा साइज से डेढ़ किलो तक की हो जाती है मछली

जानें कैसे और कितने दिन में जीरा साइज से डेढ़ किलो तक की हो जाती है मछली

नदी-समुंद्र में तो मछलियां खुद से पलती हैं. लेकिन इसके अलावा तीन और तरीकों से मछलियों को खाने लायक तैयार किया जाता है. यहां हैचरी से बीज लाकर उन्हें मार्केट की डिमांड के हिसाब से उस खास वजन तक तैयार किया जाता है. आजकल नदी में जाल लगाकर, घर-खेत में टैंक बनाकर और तालाब में मछली पालन किया जा रहा है. 

तालाब का फाइल फोटो. फोटो क्रेडिट-मनोज शर्मा
नासि‍र हुसैन
  • May 09, 2023,
  • Updated May 09, 2023, 10:38 AM IST

वैसे तो बाजार में मछली का बीज तीन साइज में बिकता है. लेकिन सबसे ज्यादा बिकने वाला जीरा साइज है. हालांकि सोचने में यह बड़ा अजीब लगता है कि कैसे जीरा साइज का बीज देखते ही देखते डेढ़ से दो किलो वजन तक की मछली बन जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे खाने लायक डेढ़ से दो किलो वजन की मछली कितने दिन में तैयार होती है. किस तरह एक मछली को खाने लायक तैयार किया जाता है. इस खबर में हम आपको हैचरी से लेकर तालाब का सफर तय करने तक के बारे में बताएंगे. 

देश के अलग-अलग इलाकों में खाने के लिए अपनी पसंद के हिसाब से मछली की ब्रीड चुनी जाती है. अगर नॉर्थ इंडिया की बात करें तो फिश करी के लिए खासतौर पर रोहू, कतला और नैनी बहुत पसंद की जाती है. वहीं फ्राई के लिए वो मछली पसंद की जाती है जिसमे फैट कम से कम हो. 

ये भी पढ़ें- बिखरने लगी खुशबू, बड़े हो रहे हैं हींग के पौधे, दो साल बाद मिलेगा उत्पादन, जानें डिटेल 

कोलकाता-आंध्रा प्रदेश से आता है मछलियों का बीज

हरियाणा के मछली पालक संजय तेवतिया बताते हैं कि मछली पालने के लिए कोलकाता और आंध्रा प्रदेश के अलावा और दूसरी जगहों की हैचरी से भी बीज लाया जाता है. तीन तरह के साइज में से सबसे ज्यादा जीरा साइज बीज बिकता है. इसके एक-एक हजार बीज के पैकेट आते हैं. इस बीज को आप सीधे लाकर तालाब में भी डाल सकते हैं. लेकिन ऐसा करने पर बीज का सक्सेस रेट बहुत ही कम यानि 25 फीसद तक होता है. बड़ी संख्या में तो ट्रांसपोर्ट के दौरान ही खराब हो जाता है.  

नर्सरी में 35 से 40 फीसद तक कामयाब होता है जीरा बीज 

संजय तेवतिया ने बताया कि अगर आप हैचरी से बीज लाकर पहले उसे नर्सरी में डालते हैं तो वो 35 से 40 फीसद तक कामयाब रहता है. तीन से छह महीने तक आप बीज को नर्सरी में रख सकते हैं. इस दौरान जीरा साइज का बीज फिंगर साइज या फिर 100 ग्राम तक का हो जाता है. इस साइज के बीज को आप फिर तालाब में ट्रांसफर कर सकते हैं. नर्सरी में रखने के दौरान बीज को सरसों की खल और चावल के छिलके का चूरा खिलाया जाता है.

ये भी पढ़ें- जैविक खेती करने वालों को साथ जोड़ेगा डेयरी बोर्ड, होगा बड़ा मुनाफा, जानें डिटेल 

18 महीने में डेढ़ से दो किलो तक की हो जाती है मछली 

मछली पालक बाबू का कहना है कि अगर तालाब में पानी की आपने उचित देखभाल की है. मछलियों में बीमारी नहीं पनपने दी है. मछलियों में फुर्ती लाने के लिए आपने जाल चलवाया है और भैंसें भी तालाब में उतरवाई हैं तो रोहू, कतला और नैनी ब्रीड जैसी मछलियां 18 महीने में डेढ़ से दो किलो वजन तक की हो जाती हैं. दिल्ली-एनसीआर में इस वजन की मछलियां खासतौर पर पसंद की जाती हैं. 

MORE NEWS

Read more!