Animal Disease: पशुओं को बारिश में होती हैं खतरनाक बीमारी, ये उपाय अपनाएं तो नहीं होंगे बीमार

Animal Disease: पशुओं को बारिश में होती हैं खतरनाक बीमारी, ये उपाय अपनाएं तो नहीं होंगे बीमार

एनीमल एक्सपर्ट के मुताबिक बारिश के चलते पशुओं को जो खतरनाक और जानलेवा बीमारी होती हैं, उनके चलते पशु की जान तो जाती ही है साथ में पशुपालक को बड़ा आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. पशु का दूध भी दूषित होने के चलते इंसानों में बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. 

खेत में चरती गाय. फोटो क्रेडिट-किसान तकखेत में चरती गाय. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Sep 10, 2023,
  • Updated Sep 10, 2023, 3:35 PM IST

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो बारिश का मौसम पशुओं के लिए बीमारियां लेकर आता है. खुरपका-मुंहपका और लंपी जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी भी बारिश के चलते ही होती हैं. और भी बहुत सारी ऐसी परेशानियां पशुओं को होती हैं जिसकी मुख्य वजह बारिश ही है. लेकिन जरा सी सावधानी बरत कर हम पशुओं को जानलेवा खतरनाक बीमारियों से बचा सकते हैं. सावधानी भी ऐसी कि जो हमारे रोजमर्रा के जीवन में शामिल हैं. इसके लिए हमे कुछ खास करने की जरूरत नहीं है. इसमे से कुछ तो कोरोना के बाद से हमारे जीवन में ही शामिल हो गई हैं. 

पशुओं को खतरनाक बीमारी और पशुपालकों को परेशानी से बचाने के लिए केन्द्र और राज्यै सरकारों ने तीन खास योजनाएं भी चलाई हैं. अगर इन तीन योजनाओं का फायदा उठाते हुए पशुपालक थोड़ी सी सावधानी भी बरतते हैं तो वो अपने पशुओं से 100 फीसद मुनाफा कमा सकते हैं. पशुओं का टीकाकरण, पशुओं की टैगिंग और पशुओं का बीमा कराकर खतरनाक बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है.   

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लंपी और खुरपका-मुंहपका बीमारी की वजह है बारिश 

डेयरी एक्सपर्ट निर्वेश शर्मा ने बताया कि खासतौर पर गायों में लंपी बीमारी की मुख्य वजह बारिश है. क्योंकि बारिश होने के बाद चारों और गंदगी फैलने लगती है. इसी गंदगी में मच्छर और मक्खी पलते हैं. ऐसे में लंपी का वायरस मक्खी और मच्छर से ही गायों तक पहुंचता है. लंपी बीमारी खासतौर पर बारिश के मौसम में ही सबसे ज्यादा फैलती है. अब अगर खुरपका-मुंहपका बीमारी की बात करें तो ये गाय-भैंस और भेड़-बकरी सभी में फैलती है.

इसका बड़ा कारण भी बारिश ही है. बारिश के चलते पशुओं के बाड़े समेत जगह-जगह गंदगी हो जाती है. गंदगी के चलते ही पशुओं के खुर सड़ने लगते हैं. संक्रमण फैलने से मुंह भी पक जाता है. पशुओं का खाना-पीना कम हो जाता है. हालांकि इसकी रोकथाम टीकाकरण है. लेकिन कुछ लोग टीकाकरण को लेकर गंभीर नहीं होते हैं. 

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गाय-भैंस, भेड़-बकरी के बाड़े में सालभर अपनाएं ये उपाय 

एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं में सालभर कोई न कोई बीमारी अटैक करती रहती है. इसलिए खासतौर से कोराना के बाद ये जरूरी हो गया है कि हम पशुओं के बाड़े में सालभर कुछ खास उपाय अपनाएं. उपाय के तहत अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर आपके फार्म में नहीं घुस सकें. अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. दूसरा यह कि कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्तेमाल हाथ साफ करने के लिए हो.

ऐसा करने के बाद ही पशु को हाथ लगाएं. पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेमाल कर हाथ साफ करें, जिससे पशु की कोई बीमारी आपको न लगे. इतना ही नहीं अगर कोई इंसान बाहर से आपके फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हें सेनेटाइज करें. हाथ और उनके कपड़ों को भी सेनेटाइज करवा सकें तो बहुत ही अच्छां है वर्ना तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं. 
 

 

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