इसे ग्लोबल वॉर्मिंग का असर कहें या जलवायु परिवर्तन का प्रभाव. गर्मी की मार कहें या कुदरत की ठोकर. जो भी कहें, लेकिन अफ्रीका में एक ऐसा शहर है जो बारिश के पानी के लिए तरस गया है. इस शहर में पिछले छह साल से एक बूंद बारिश नहीं हुई. लगातार छठा साल है जब यहां के लोग आसमान की तरफ ताकते-ताकते थक गए हैं. जनता हताश-निराश और परेशान है. यहां तक कि राष्ट्रपति भी लाचार से दिख रहे हैं. उन्होंने भगवान भरोसे मामला छोड़ दिया है. यहां के धर्मगुरुओं के निर्देश पर रविवार को पूरे देश के लोग एक साथ ईश्वर की प्रार्थना करेंगे और आशीर्वाद में पानी मांगेंगे. इस बेहाल देश का नाम है केन्या और शहर है नकुरू.
नकुरू केन्या की राजधानी नैरोबी से 160 किमी की दूरी पर है. इस शहर में पिछले छह साल से बारिश की एक बूंद नहीं पड़ी. इससे खेती-बाड़ी के अलावा पेयजल पर भी असर देखा जा रहा है. बारिश कराने के लिए यहां के धर्मगुरुओं ने शहर के सभी लोगों से एकसाथ प्रार्थना करने की अपील की. राष्ट्रपति विलियम रूटो की भी इसमें रजामंदी है. रूटो केन्या में आर्थिक समृद्धि लाना चाहते हैं और यह तभी संभव हो पाएगा जब अच्छी बारिश हो. यहां की पूरी अर्थव्यवस्था बारिश पर आधारित है. लेकिन कई साल से बरसात नहीं होने से यहां की पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हुई पड़ी है.
राष्ट्रपति विलियम रूटो कहते हैं, सरकार के तौर पर हमने खाद्य सुरक्षा को लेकर एक पूरा प्लान तैयार किया हुआ है. हमारे पास बीज है, भरपूर मात्रा में खाद है और वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक पूरी रणनीति है. यहां तक कि बांधों की भी पूरी व्यवस्था है. बस बारिश का इंतजार है. उम्मीद है कि ईश्वर इस सीजन में बारिश देगा. मैं देश के हर नागरिक से, हर धर्म को मानने वाले लोगों से अपील करता हूं कि वे बारिश के लिए प्रार्थना करें.
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केन्या के अलावा पूर्वी अफ्रीका के कई देश ऐसे हैं जहां बारिश की भारी कमी रहती है. इन देशों में भयंकर सूखा देखा जाता है. सूखे की चपेट में आकर फसलें बर्बाद हो जाती हैं, मवेशी मारे जाते हैं, जल-जंगल और जमीन पर दुष्प्रभाव पड़ता है. इन सबका व्यापक असर कुपोषण के रूप में देखा जाता है. दूसरी ओर, केन्या में घरेलू खेती ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. यह खेती भी तभी होगी जब बारिश का पानी होगा. लेकिन पिछले छह साल से यहां के कई इलाकों में एक बूंद भी पानी नहीं हुआ है. हालात की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की एक एजंसी ने किसी बहुत बड़ी मानवीय आपदा की आशंका जाहिर की है.
इस गंभीर स्थिति के बारे में मौसम विज्ञानियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने मौसम में भारी बदलाव किया है और इसके पीछे इंसानों का हाथ है. केन्या और यूएन वेदर एजंसी के पूर्व निदेशक इवांस मुकोवे कहते हैं, मौजूदा सूखे के बारे में कई साल पहले चेतावनी जारी की गई थी और यह स्थिति अब सामने आ गई है. अभी जो हालात बने हैं, उसके कई बड़े असर इस पूरे इलाके के सामाजिक और आर्थिक रूप से देखे जाएंगे. यहां तक कि शांति, सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता भी इस सूखे का प्रभाव देखा जाएगा. अगर बारिश हो जाती है, तो परिस्थितियां बेहतर होंगी. अन्यथा पूरा देश कई समस्याओं से घिरता चला जाएगा.