‘आज हमारे देश में हर रोज 60 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. हर रोज ये आंकड़ा बढ़ रहा है. हर 25 साल बाद दूध का उत्पारदन तीन गुना हो जाता है. 50 साल पहले दूध का उत्पादन 24 मिलियन टन था और अब 231 मिलियन टन है. फिर भी हमारे देश में पशुओं की संख्या को देखते हुए प्रति पशु दूध उत्पादन दूसरे देशों को देखते हुए बहुत कम है. इसलिए जरूरी है कि आज दुग्ध क्रांति के पितामाह डॉ. वर्गीस कुरियन की तरह से मिल्क रेव्युलेशन-2 की शुरुआत की जाए. इसके तहत हमे कई अहम बिन्दु्ओं पर काम करने की जरूरत है.’
ये कहना है अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का. मिल्क रेव्युलेशन-2 की की चर्चा उन्होंने हैदराबाद में आयोजित हो रही 50वीं डेयरी इंडस्ट्री कांफ्रेंस में कही है. देशभर के डेयरी कारोबारी इस कांफ्रेंस में हिस्सा ले रहे हैं. इस मौके पर एक्सपर्ट ने डेयरी सेक्टर में पैकेजिंग के महत्व को भी बताया.
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डेयरी कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आरएस सोढ़ी ने बताया कि मिल्क रेव्युलेशन-2 तहत हमे कई अहम बिन्दु्ओं पर काम करने की जरूरत है. पहले तो हमे प्रति पशु दूध उत्पा्दन बढ़ाने पर जोर देना होगा. आधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट बनाने के साथ ही उनकी संख्या भी बढ़ानी होगी. एक्सपोर्ट और घरेलू दोनों स्तर के बाजार का दायरा बढ़ाना होगा. इंटरनेशनल मार्केट में डिमांड को देखते हुए हमे घी पर काम करना होगा. इतना ही नहीं सरकार को चाहिए कि वो कोऑपरेटिव, डेयरी वैल्यू चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में इंवेस्ट करे.
आरएस सोढ़ी ने दूध उत्पाादन बढ़ाने के टिप्सए देते हुए कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत ज्याीदा से ज्या.दा किसानों को पशुपालन में लाने और जो पहले से काम कर रहे हैं उन्हें रोकने की है. चार-पांच गाय-भैंस पालने वाले किसान को कुछ बचता नहीं है और दूध की कमाई का एक बड़ा हिस्सा चारे में खर्च हो जाता है. बिजली बहुत महंगी हो गई है. अच्छा मुनाफा ना होने की वजह से किसान के बच्चे आज पशुपालन नहीं करना चाहते हैं. इसलिए नौकरी की तलाश में गांव से शहर की ओर भागते हैं. पशुपालन अर्गेनाइज्ड करना होगा, क्योंकि ऐसा होने से दूध उत्पादन की लागत कम आती है.
बीके करना, डायरेक्टर, पैकेजिंग क्लीनिक एंड रिसर्च इंस्टीरट्यूट ने डेयरी कांफ्रेंस में बोलते हुए कहा कि अच्छी या खराब पैकेकिंग का असर खाने के सामान पर भी पड़ता है. खासतौर से डेयरी प्रोडक्ट पर. दूध को छोड़कर बाकी सारे डेयरी प्रोडक्ट प्रोसेस होते हैं. आइसक्रीम में भी पैकिंग का बड़ा रोल है. इतना ही नहीं पैकिंग के चलते ही डेयरी प्रोडक्ट के रेट पर भी असर पड़ता है.
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वहीं कांफ्रेंस में हिस्सा लेने आईं एफएसएसएआई की डिप्टी डायरेक्टर, दिल्ली मोहिनी पूनिया ने कहा कि आज ग्राहकों में जागरुकता आ गई है. पहले लोग सिर्फ क्वालिटी कंट्रोल वाली संस्था का निशान देखकर ही संतुष्ट हो जाते थे. लेकिन अब खाने के किसी भी पैकेट को खोलने से पहले ग्राहक उस पर बनने के साथ ही इस्तेमाल होने तक की तारीख देखता है. दूध के मामले में लोग फैट तक चेक करने लगे हैं. इसलिए प्रोडक्ट को बाजार में बेचने के लिए निर्माता को पैकेट पर हर तरह की जानकारी देनी होगी.