cotton Variety: कपास की इन किस्मों से मिलेगी अच्छी पैदावार, जानिए इसके बारे में सबकुछ 

cotton Variety: कपास की इन किस्मों से मिलेगी अच्छी पैदावार, जानिए इसके बारे में सबकुछ 

खरीफ सीजन में अधिकतर राज्यों में किसान कपास की खेती की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में किसान कॉटन की इन 5 किस्मों का उपयोग कर अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पा सकते हैं.

किसान कपास की इन किस्मों से खेती कर अच्छा उत्पादन ले सकते हैंकिसान कपास की इन किस्मों से खेती कर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Jun 22, 2023,
  • Updated Jun 22, 2023, 4:14 PM IST

कपास की बुवाई का वक्त आ गया है. कई राज्यों में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इसका उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता है. साथ ही कपास के बीजों से तेल भी बनाय जाता है. यही वजह है कि बाजार में कपास की कीमतें अच्छी बनी रहती हैं. कपास दुनिया की महत्वपूर्ण फसलों में गिनी जाती है. अगर क्षेत्रफल के लिहाज से बात करें तो भारत में कपास की खेती  सबसे अधिक होती है. कुल कपास के क्षेत्रफल में 88 फीसदी रकबे में बीटी कॉटन की ही खेती होती है और किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिलता है.कपास को सफेद सोना भी कहा जाता है. किसान आगामी खरीफ सीजन में अधिक से अधिक रकबे में कपास की खेती की योजना बना रहे हैं. ऐसे में अगर किसान कपास के सही किस्म का चुनाव करते हैं तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिल सकता हैं. आज हम बात करेंगे कॉटन की उन टॉप 5 वैरायटी के बारे में जिससे किसान खेती कर अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पा सकते हैं.

कपास की सुपरकॉट (Supercott BGII 115) 

कपास की यह वैरायटी अच्छी किस्मों में से एक मानी जाती है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु  होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई कर सकते है. मध्यम और भरी भूमि में इसकी बुवाई कर आसानी से कर सकते है. इसका फसल कालावधि 160-170 दिन का है. इसके पेड़ो की उपस्थिति लम्बी और फैली हुई होती है. एक पैकेट में बोल 475 ग्राम आता है. एक बीज  का वजन 8 से 15 ग्राम तक होता है. इसका एक एकड़ में उत्पादन 20-25 क्विंटल प्रति तक मिलता है. यह किस्म कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में ज्यादा मात्रा में लगाई जाती है. 

रासी नियो ( Rasi RCH 773)

कपास की ये वैरायटी टॉप में आती है.रासी नियो यह किस्म के पौधे एकदम हरे भरे रहते है. इसकी व्यापक अनुकूल क्षमता है. इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 20-22 क्विंटल है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु  होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रोंमें इसकी बुवाई कर सकते है. यह किस्म हलकी और माध्यम भूमि के लिए उपयुक्त है. व्यापक अनुकूलन क्षमता है, अच्छा बोल प्रतिधारण इसकी विशेषताए है. यह किस्म कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में अधिक मात्रा में लगाई जाती है.

 इंडो उस 936 (Indo US 955 BGII)

की संकरित किस्मे है, यह वैरायटी टॉप में आती है. इसकी व्यापक अनुकूल क्षमता है. इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 15-20 क्विंटल है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई कर सकते है. यह किस्म हलकी और माध्यम भूमि के लिए उपयुक्त है व्यापक अनुकूलन क्षमता है, अच्छा बोल प्रतिधारण इसकी विशेषताए है. इसके  फसल की  कालावधि 155-160 दिन का है. पंखुडिओ का रंग क्रीमी होता है. इसकी कपास बोल का वजन 6-10 ग्राम होता है. यह सिर्फ गुजरात और मध्य प्रदेश में इसकी खेती होती है. इसमे फूल 45-48 दिन के बाद लगाने शुरू  होते है. 

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अजीत  (Ajeet 199 BG II) 

कपास में यह वैरायटी सबसे अच्छी मानती जाती है. यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रोंमें इसकी बुवाई कर सकते है. इसका फसल कालावधि 145-160 दिन का है. पौधे की लम्बाई 145 सेमि से 160 सेमि इसकी कपास बोल का वजन 6-10 ग्राम होता है. इसकी रेशा अच्छे क्वालिटी का होता है. इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ 22-25 क्विंटल है. व्यापक अनुकूलन क्षमता है, अच्छा बोल प्रतिधारण इसकी विशेषताए है. इसके फसल की कालावधि 140-150 दिन का है. पौधे की लम्बाई 150 सेमि से 160 सेमि इसकी कपास बोल का वजन 6-10 ग्राम होता है. यह रोग प्रतिबंधक किस्म है, व्यापक अनुकूलन क्षमता है, अच्छा बोल प्रतिधारण इसकी विशेषताए है.

महिको बाहुबली (Mahyco Bahubali MRC 7361)

यह मध्यम कालावधि में पकनेवाली किस्म है.इसका बोल की साइज एक जैसी होती है और बोल का वजन भी अच्छा होता है. यह किस्म कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान में ज्यादा मात्रा में लगाई जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ है. इसकी बोल की ओपनिंग अच्छी होती है. बोल शाखाओ में नजदीक में लगाती है.यह किस्म चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है. सिंचित असिंचित क्षेत्रोंमें इसकी बुवाई कर सकते है.
यह एक अच्छी रोग प्रतिबंधक किस्म है.


 

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