दालों के बढ़ते दाम को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसके कारोबारियों पर सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी है, ताकि अघोषित भंडार और कालाबाजारी से निपटा जा सके. सरकार ने दाल कारोबारियों के साथ बैठक करके उन्हें भंडार को ईमानदारी और नियमित रूप से घोषित करने के लिए कहा है. ऐसा न करने पर राज्य सरकार द्वारा अघोषित भंडार को जब्त करने जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. कालाबाजारी रोकने और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई करने और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के रखरखाव अधिनियम, 1980 (ESMA Act) को लागू करने के निर्देश भी दिए गए हैं.
केंद्र सरकार ने कहा, 'यह देखा गया है कि लेन-देन वाले भंडार, नीलामी के लिए मंडी में पड़े किसान के भंडार, बंदरगाहों पर सीमा शुल्क निकासी की प्रतीक्षा कर रहे भंडार आदि वर्तमान निगरानी तंत्र से बच गए. इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि मिल मालिकों, व्यापारियों और डीलरों ने जान बूझकर भंडार घोषणा से बचने के लिए किसानों के नाम पर अपने भंडार को गोदामों में रखने का सहारा लिया है.'
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उपभोक्ता कार्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अरहर और उड़द के भंडार की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए 4 राज्यों में 10 स्थानों का दौरा किया. इसमें कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु शामिल हैं. उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इन अधिकारियों के साथ एक आंतरिक बैठक की. उन्होंने 15 अप्रैल को इंदौर में अखिल भारतीय दाल मिल्स संघ के साथ एक बैठक की, ताकि उन्हें स्टॉक के बारे में बताया जा सके.
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इंदौर, चेन्नई, सेलम, मुंबई, अकोला, लातूर, शोलापुर, कालबुर्गी, जबलपुर और कटनी जैसे विभिन्न स्थानों का दौरा किया और राज्य सरकारों, मिलर मालिकों, व्यापारियों, आयातकों तथा बंदरगाह प्राधिकरणों के अधिकारियों के साथ, मिलर मालिकों, आयातकों और व्यापारियों के संघों के साथ बातचीत तथा बैठक आयोजित की.
बाज़ार के जमीनी स्तर के प्रतिनिधियों और राज्य के अधिकारियों के साथ बातचीत से पता चला है कि जहां ई-पोर्टल पर पंजीकरण और भंडार के बारे में सूचना प्रदान करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, वहीं बड़ी संख्या में बाज़ार प्रतिनिधियों ने या तो पंजीकरण नहीं कराया है या नियमित आधार पर अपने भांडार की स्थिति को अपडेट करने में विफल रहे हैं.
आयातक संघ के पदाधिकारियों ने सूचित किया कि तेलंगाना, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों के व्यापारी भी चेन्नई बंदरगाह से अरहर दाल का आयात कर रहे हैं. उन्होंने आयातकों के राज्य में या आयात प्राप्त करने वाले राज्य में अपनी रिपोर्टिंग, डेटा का दोहराव नहीं होना सुनिश्चित करने के बारे में स्पष्टीकरण का अनुरोध किया है. बाजार प्रतिनिधियों की मांग पर सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि भंडार को उस राज्य में रिपोर्ट किया जाना चाहिए, जहां यह भौतिक रूप से उपलब्ध है या उसका भंडारण किया गया है.
राज्यों को भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) लाइसेंस, कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) पंजीकरण, वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) पंजीकरण, गोदामों तथा कस्टम बंधुआ गोदामों से संबंधित डेटा को देखने के लिए भी कहा गया है. इन संस्थाओं को भी बाजार के व्यापारियों के कवरेज को व्यापक बनाने के लिए भंडार की अपनी घोषणाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.
उपभोक्ता कार्य विभाग ने अरहर और उड़द के भंडार की निगरानी के प्रयासों को जारी रखने के अपने इरादे की पुष्टि करता है. उपभोक्ता कार्य विभाग की अतिरिक्त सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में भंडार की निगरानी के लिए साप्ताहिक समीक्षा की जा रही है. साथ ही बैठकों के अलावा आने वाले समय में और यात्राओं की योजना बनाई जा रही है. ताकि दाल के भंडारों की सही जानकारी मिले और दाम को काबू में रखा जा सके.