देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सुबह के नाश्ते में सबसे ज्यादा ब्रेड का इस्तेमाल ही होता है. ब्रेड का उपयोग लोग अलग-अलग तरीके से करते हैं. अब तक बाजारों में मैंदे और आटे से बनने वाले ब्राउन ब्रेड उपलब्ध हैं, लेकिन इंटरनेशन ईयर ऑफ मिलेट की घोषणा के बाद अब बाजारों में ज्वार, बाजरा और रागी के ब्रेड भी उपलब्ध हो रहे हैं. लखनऊ में आयोजित ईट राइट मिलेट्स फेस्टिवल में ज्वार,बाजरा और रागी से बने हुए ब्रेड (Millets bread ) को प्रदर्शित किया गया, जिसको लोगों ने खूब सराहा.
विशेषज्ञों का मानना है कि मोटे अनाज से बने हुए ब्रेड कहीं ज्यादा पौष्टिक हैं. वहीं इन ब्रेड को रोजाना उपयोग करने से शरीर को कई सारे पोषक तत्व भी प्राप्त होंगे.
दुनिया भर में लोग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सफेद ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड खाना पसंद करते हैं. वहीं अब मोटे अनाज से बने हुए ब्रेड भी बाजारों में उपलब्ध हो रहे हैं. मोटे अनाज को काफी ज्यादा पौष्टिक माना गया है. इसलिए सरकार भी मोटे अनाज की उपयोग को बढ़ाने के लिए मिलेट्स मेलों के माध्यम से जागरुकता फैला रही है. वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रिट्ज प्रतिष्ठान के द्वारा मोटे अनाज से बने हुए तीन तरह के ब्रेड बनाए हैं, जो काफी ज्यादा पॉपुलर हो रहे हैं. रिट्ज के ऑपरेशन हेड अभिषेक ने बताया कि सफेद और ब्राउन ब्रेड की तुलना में ज्वार, बाजरा और रागी से बने हुए ब्रेड कहीं ज्यादा पौष्टिक हैं. हालांकि इनका उत्पादन भी सीमित अवसर पर है क्योंकि इनकी मांग कम है. जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी इनकी उपलब्धता भी बढ़ेगी.अगर कोई व्यक्ति मोटे अनाज से बने हुए ब्रेड का रोजाना उपयोग करता है तो शरीर में मिनरल्स और विटामिन की कमी नहीं होगी.
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बाजार में इन दिनों सफेद और ब्राउन दो तरह के के ब्रेड सबसे ज्यादा बिकते हैं. ब्राउन ब्रेड को सफेद ब्रेड की तुलना नहीं ज्यादा पौष्टिक माना गया है. ब्राउन ब्रेड में मैग्नीशियम ,फोलिक, एसिड जिंक ,कॉपर, मैग्नीज होता है, जबकि सफेद ब्रेड में बेंजोयल पेरोक्साइड ,क्लोरीन डाइऑक्साइड, पोटेशियम ब्रोमेट जैसे रसायनों का उपयोग करके गेहूं के आटे को ब्लीच किया जाता है. मैदे के ऊपर रिफाइंड ,स्टार्च डाला जाता है, जिसके चलते स्वास्थ्य के लिए यह हानिकारक साबित होते हैं.