देश की बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान उत्पादन की मांग को पूरा करना एक बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है. दरअसल किसानों द्वारा अंधाधुंध रासायनिक खादों के प्रयोगों से खेत की मिट्टी अपनी उपजाऊ शक्ति खोती जा रही है. इसके लिए खेत की मिट्टी का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है. क्योंकि मिट्टी की जांच से ही पता चलता है कि भूमि में कौन सा पोषक तत्व उचित, अधिक या कम मात्रा में है. वहीं खेती में बढ़िया उत्पादन के लिए भी मिट्टी की जांच कराना बहुत जरूरी है. मिट्टी की गुणवत्ता और उसकी उर्वरक शक्ति को लेकर बिहार के सभी 38 जिलों में चालू वित्तीय वर्ष में 6 लाख मिट्टी के नमूनों की जांच होगी.
जांच के बाद विशेषज्ञ इसका विश्लेषण कर किसानों को उर्वरक के प्रयोग को लेकर सुझाव देंगे. साथ ही इसका सारा आंकड़ा ऐप पर भी उपलब्ध रहेगा. किसान अपने खेत की मिट्टी के बारे में (मिट्टी बिहार ऐप) मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरक की मात्रा के बारे में जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकेंगे.
अब बिहार के किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड मिलने का इंतजार नहीं करना होगा. अब उन्हें इसकी सारी जानकारी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर मिल जाएगी. वहीं अगले तीन वर्षों में देश में पांच करोड़ और बिहार की शत प्रतिशत पंचायतों की मिट्टी का जांच करने का लक्ष्य रखा गया है. इसी के लिए ये नमूना संग्रह अभियान 30 मई तक चलेगा.
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रसायन और मिट्टी जांच के सहायक निदेशक ने बताया कि हर एक पंचायत में ग्रिड बनाकर मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे. इसके लिए हर पंचायत में एक हेक्टेयर का ग्रिड बनेगा. वहीं ऐप पर ग्रिड के भूमि धारक किसानों के मोबाइल नंबर दर्ज किए जाएंगे. इससे किसानों को मिट्टी के नमूने से लेकर उसकी पूरी जांच और सॉइल हेल्थ कार्ड से जुड़ी पूरी जानकारी मिलती रहेगी. एक ग्रिड में 8 से 10 जगहों से मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में सबसे अधिक 24 हजार मिट्टी के नमूनों की जांच होगी. वहीं शिवहर जिले मे सबसे कम 12 हजार नमूने जांच के लिए लिए जाएंगे. निदेशालय के अनुसार हर जिले से 12 हजार से लेकर 24 हजार तक मिट्टी के नमूने लेने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए नमूना संग्रह दल का गठन किया गया है.
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