ठंडे प्रदेशों की जमीन का ज्यादा से ज्यादा कैसे इस्ते माल किया जाए, वहीं जम्मू-कश्मीर की पहचान कश्मीरी अखरोट को कैसे बढ़ाया जाए, इसके लिए कुछ प्रदेशों में एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है. अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो इसी प्रोजेक्ट की कड़ी में उत्तराखंड कश्मीरी अखरोट का एक बड़ा बाजार बनकर उभरेगा. इसके लिए वहां बड़ी संख्या में अखरोट के पौधे लगाए जा रहे हैं. वहीं अखरोट की नई-नई किस्म तैयार की जाए और उनकी संख्या भी बढ़ाई जाए, इसके लिए अरुणाचल प्रदेश को अखरोट की नर्सरी बनाया जा रहा है. इसके लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेंपरेट हॉर्टिकल्चर, श्रीनगर, कश्मीर लगातार काम कर रहा है.
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से पूसा इंस्टीट्यूट, दिल्ली में कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया था. जहां सीआईटीएच की ओर से अखरोट और बादाम की प्रदर्शनी लगाई गई थी. इस प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा वजन और साइज के अखरोट CITH walnut 1 को देखने वालों की भीड़ लगी हुई थी. लोग इसे खरीदना भी चाहते थे. लेकिन मेले में इस खास अखरोट को सिर्फ प्रदर्शनी के लिए ही रखा गया था. गौरतलब रहे यह इंस्टीट्यूट उन मेवा और फलों पर काम करता है जो सर्द मौसम और बर्फवारी में होते हैं.
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सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेंपरेट हॉर्टिकल्चर के साइंटिस्ट डॉ. वसीम ने किसान तक को बताया कि कश्मीरी अखरोट को बढ़ावा देने के लिए जायका योजना चलाई जा रही है. योजना में उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश भी शामिल हैं. अखरोट की सभी तरह की किस्म के करीब 40 हजार पौधे अकेले उत्तराखंड में अभी तक लगाए जा चुके हैं. वहां की सरकार भी चाहती है कि उनके यहां का ज्या दा से ज्यादा वन क्षेत्र इस्ते माल हो. डॉ. वसीम का कहना है कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड कश्मीरी अखरोट का एक बड़ा बाजार बनेगा.
क्या अखरोट के और भी पौधे उत्तराखंड में लगाए जाएंगे, इस सवाल के जवाब में डॉ. वसीम का कहना है कि हमारी संस्था उत्तराखंड के लोगों को मदर प्लांट तैयार करने की तकनीकी समेत हर तरह की ट्रेनिंग और मदद दे रही है. इसी से पौधों की संख्या बढ़ाई जाएगी. बावजूद इसके उत्तराखंड को अगर और पौधों की जरूरत पड़ती है तो हमारे संस्थान की ओर से दिए जाएंगे.
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डॉ. वसीम ने बताया कि हमारी यह योजना बड़े पैमाने पर हिमाचल प्रदेश में चल रही है. यहां बड़ी मात्रा में कश्मीरी अखरोट की किस्म पैदा होती हैं. इसी के चलते अखरोट के पौधों की संख्या बढ़ाने के लिए अरुणाचल प्रदेश को चुना गया है. क्योंकि मदर प्लांट के लिए जम्मू-कश्मीर की अपनी एक हद है. लेकिन अरुणाचल में मदर प्लांट तैयार करने का काम जोर-शोर से चल रहा है. हाल ही में अखरोट की 10 नई और वैराइटी को लिस्ट में शामिल किया गया है.
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