बकरीद पर देश ही नहीं विदेशों में भी सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं इस नस्ल के बकरे

बकरीद पर देश ही नहीं विदेशों में भी सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं इस नस्ल के बकरे

बरबरे बकरे ज्यादातर यूपी और राजस्थान में पाए जाते हैं. यूपी में खासतौर पर अलीगढ़, हाथरस, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, इटावा और कासगंज जिले में बड़े पैमाने पर इनका पालन होता है.

बरबरे बकरों का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तकबरबरे बकरों का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jun 21, 2023,
  • Updated Jun 21, 2023, 3:25 PM IST

बकरीद के लिए बकरों की खरीद-फरोख्त का काम शुरू हो गया है. गांव से लेकर शहर तक में जगह-जगह बकरों की मंडियां लग रही है. रविवार को सुबह से शाम तक तो और दूसरे दिनों में शाम के वक्त बकरा मंडियों में खूब भीड़ उमड़ रही है. हर एक खरीदार की यही चाहत है कि देखने में खूबसूरत और तंदरुस्त बकरा मिल जाए. अपनी इस डिमांड को पूरा करने के लिए खरीदार पहले बरबरी नस्ल के बकरे की तलाश करते हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट भी खूबसूरती और तंदरुस्ती के मामले में बरबरी नस्ल के बकरों को अच्छा बताते हैं. यही वजह है कि बरबरी नस्ल के बकरों की डिमांड देश ही नहीं अरब देशों में भी बहुत रहती है. 

जानकारों की मानें तो ज्यादातर बकरे और बकरियों की नस्ल के नाम उनके मूल इलाकों के नाम पर होते हैं. इसी तरह से बरबरी नस्ल के बकरों का नाम भी उनके मूल इलाके अफ्रीकी देश सोमालिया के बेरिया इलाके के नाम पर है. संख्याक और पालन के चलते बरबरी नस्ल आज यूपी की खास पहचान बन चुकी है. खासतौर पर दूध-मीट और जल्दी-जल्दी ज्यादा बच्चे देने के चलते भी इन्हें पाला जाता है.  

गांव ही नहीं शहर में भी बड़े आराम से पलते हैं बरबरे बकरे 

सीआईआरजी के बरबरी एक्सपर्ट एमके सिंह की मानें तो बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन 9 महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. अगर सिर्फ मैदान या जंगल में चराई पर ही रखा जाए तब भी एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.

मंडी में ऐसे करें बरबरे बकरे की पहचान 

साइंटिस्ट एमके सिंह ने किसान तक को बताया कि बरबरी नस्ल के बकरे और बकरियों की सबसे बड़ी पहचान उनके कान और रंग हैं. 37 नस्ल के बकरे और बकरियों में बरबरी नस्ल ऐसी है जिसके बकरे और बकरियों के कान ऊपर की ओर उठे हुए नुकीले, छोटे और खड़े होते हैं. अगर रंग की बात करें तो सफेद रंग की खाल पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं. नाक चपटी और पीछे का हिस्सा भारी होता है. 

यह भी एक पहचान है बरबरी नस्ल के बकरे-बकरियों की

13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लायक हो जाती है. 

15 महीने में दो बार बच्चे देती है. 

पहली बार बच्चा देने के बाद दूसरी बार 90 फीसद तक दो से तीन बच्चे देती है. 

10 से 15 फीसद तक बरबरी बकरी 3 बच्चे देती है. 

बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देती है. 

बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देती है. 

बरबरी बकरे की अरब देशों में भी है डिमांड 

बरबरी नस्ल का बकरा वजन में 25 से 40 किलो तक का पाया जाता है. देश के अलावा अरब देशों में बरबरी नस्ल के बकरे की बहुत डिमांड है. बरबरी बकरे को मीट के लिए बहुत पसंद किया जाता है. डिब्बा बंद मीट के साथ जिंदा बरबरे बकरे भी सऊदी अरब, कतर, यूएई, कुवैत के साथ ही ईरान-इराक में सप्लाई किए जाते हैं. देखने में भी बरबरी नस्ल के बकरे बहुत खूबसूरत होते हैं तो बकरीद के मौके पर लोग कुर्बानी के लिए मुंह मांगे दाम देते हैं. 

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