केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विभिन्न किसान संघों के प्रतिनिधियों और प्रमुख कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ दूसरी प्री-बजट परामर्श बैठक आयोजित हुई. केंद्रीय बजट 2025-26 की तैयारियों को लेकर यह चर्चा की गई. बैठक में एग्रीकल्चर सेक्टर की मुख्य चुनौतियों और अवसरों को समझने पर जोर दिया गया. किसान समुदाय के प्रतिनिधियों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों के हित में सुधार के उद्देश्य से नीतिगत बदलावों, बजटीय सहायता और सुधारों पर अपने सुझाव दिए. वहीं, कृषि अर्थशास्त्रियों ने टिकाऊ कृषि पद्धतियों, उत्पादन बढ़ाने और बाजार सुधारों पर भी जानकारी दी.
वित्त मंत्रालय ने एक एक्स पोस्ट में कहा कि केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के संबंध में विभिन्न किसान संघों और प्रमुख कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ दूसरे बजट-पूर्व परामर्श की अध्यक्षता की. इस परामर्श के दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव और आर्थिक मामलों के विभाग तथा निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. यह परामर्श वित्त मंत्रालय द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों से व्यापक और समावेशी बजट के लिए इनपुट जुटाने के लिए आयोजित की जा रही बैठकों की श्रृंखला का हिस्सा है.
ये भी पढ़ें - सरकार 50 प्रतिशत से ज्यादा का MSP तय करेगी और उपज खरीदेगे भी, संसद में बोले कृषि मंत्री
इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी बजट के लिए इनपुट और सुझाव हासिल करने के लिए प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ प्री-बजट बैठक की अध्यक्षता की. यह बैठक शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित हुई. वित्त मंत्रालय विशेषज्ञों, उद्योग जगत के लीडर्स, अर्थशास्त्रियों और राज्य के अधिकारियों के साथ सालाना कई प्री-बजट परामर्श बैठकें आयोजित करता है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक बजट तैयार करने की औपचारिक कवायद शुरू हो चुकी है. पिछले वर्षों की तरह, 2025-26 का बजट भी 1 फरवरी 2025 को पेश किए जाने की उम्मीद है.
इससे पहले शुक्रवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान खेती और किसानों से जुड़े मुद्दे उठाए गए. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने इन सवालों के जवाब दिए. सदन में किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदने की गारंटी से जुड़े सवाल पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार पहले से किसानों से एमएसपी पर फसल खरीदती आ रही है. वहीं, एमएसपी तब दी जाती है, जब फसल के दाम गिर जाते हैं. अगर पहले से ही अच्छे दाम मिल रहे हैं तो इसपर एमएसपी देने की जरूरत नहीं होती. वहीं, जब किसानों की कर्जमाफी से जुड़ा सवाल किया गया तो कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों का कर्ज माफ करने की बजाय उनकी आय बढ़ाने का काम कर रही है. उन्होंने 6 सूत्रीय रोडमैप के बारे में भी सदन को जानकारी दी. (एजेंसी इनपुट के साथ)