रबी फसलों की बुवाई के बीच गेहूं की कीमत ने जोर पकड़ लिया है. केंद्र सरकार ने किसानों से गेहूं खरीदने की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखी है. लेकिन, देश कुछ हिस्सों के बाजारों में गेहूं का दाम एमएसपी से दोगुनी कीमत पर जा पहुंचा है. एक्सपर्ट का मानना है कि ऑफ सीजन चल रहा है, जिसका फायदा कारोबारियों को मिल रहा है. वहीं, सरकारी एजेंसियों के पास बफर स्टॉक मानक से ज्यादा गेहूं उपलब्ध है, बावजूद कीमत में बढ़ोत्तरी ने परेशानी बढ़ा दी है. इससे गेहूं से बनने वाले फूड प्रोडक्ट जैसे आटा, ब्रेड या बिस्किट की कीमत पर भी असर दिखने की आशंका जताई जा रही है.
उपभोक्ता मामले विभाग के मूल्य निगरानी डिवीजन ने 20 नवंबर 2024 को गेहूं की थोक और खुदरा कीमतें जारी की हैं. देश के कुछ हिस्सों की मंडियों में गेहूं का अधिकतम थोक दाम 5800 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है. यह कीमत एमएसपी की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा है. सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि मंडियों में गेहूं का औसत भाव 31.92 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि, अधिकतम कीमत 58 रुपये प्रति किलो है.
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और गोवा की मंडियों के भाव देखें तो गेहूं की सर्वाधिक औसत कीमत गोवा में है. उपभोक्ता मामले विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में गेहूं का थोक औसत दाम 28.67 रुपये प्रति किलो है. जबकि, दिल्ली में गेहूं का औसत थोक दाम 31 रुपये प्रति किलो (3100 रुपये प्रति क्विंटल) है. इसी तरह गुजरात में 35.14 रुपये प्रति किलो दाम चल रहा है. महाराष्ट्र में गेहूं का औसत दाम 39.74 रुपये प्रति किलो है. गेहूं की सबसे महंगी औसत कीमत गोवा में 50 रुपये प्रति किलो है.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के साथ राज्य एजेंसियों के पास 31 अक्टूबर 2024 तक गेहूं का स्टॉक 222.64 लाख टन है. खाद्यान्न स्टॉक मानक के अनुसार एजेंसियों के पास 205.20 लाख मीट्रिक टन गेहूं का बफर स्टॉक होना चाहिए. यानी मानक से अधिक गेहूं की उपलब्धता के बावजूद गेहूं की कीमत मंडियों में खरीद कीमत की तुलना में दोगुनी के पार हो चुकी है. इससे उपभोक्ताओं की कमर टूट रही है.
ऐसा अंदेशा भी जताया जा रहा है कि गेहूं की इन बढ़ी कीमतों का असर इससे बनने वाले प्रोडक्ट जैसे आटा, ब्रेड और बिस्किट आदि की कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है. एक्सपर्ट का मानना है कि सरकारी एजेंसियों के पास बफर मानक से ज्यादा गेहूं की उपलब्धता के बावजूद बढ़ती महंगाई ने परेशानी बढ़ाई है. इसके अलावा ऑफ सीजन चल रहा है, जिसका फायदा कारोबारियों को अधिक कीमत के रूप में मिल रहा है. कहा गया कि एफसीआई को खुले बाजार में गेहूं को उतारना चाहिए, जिससे कीमतों को नियंत्रित करने में आसानी हो सके.