आटा और दाल की कीमतों में जारी बढ़ोत्तरी ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. आटा 15 साल के अधिकतम दाम पर बिक रहा है. जबकि, दालों की कीमतें भी ऊपर जा रही हैं. तूर दाल की खुदरा कीमत 185 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. खाने पीने की वस्तुओं की महंगाई के चलते नवंबर में खाद्य महंगाई दर पर दबाव बना रहा है. जबकि, गेहूं और आटा समेत दालों की कीमतों में जारी बढ़त का दबाव दिसंबर में खाद्य महंगाई को डबल डिजिट में ले जा सकता है.
सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार दिसंबर के दूसरे सप्ताह में जारी हुए नवंबर में महंगाई के आंकड़ों में बताया गया कि खाद्य महंगाई दर नवंबर महीने में 8.92 फीसदी दर्ज की गई. जो अक्टूबर 2024 में 11.6 फीसदी की तुलना में कम थी. क्योंकि ताजा फसलों की आवक के चलते नीचे खिसकी थी. लेकिन, बीते कुछ सप्ताह से गेहूं, आटा और दालों की कीमतों में जारी बढ़त खाद्य महंगाई दर को ऊपर ले जाएगी.
उपभोक्ता मामले विभाग के मूल्य निगरानी प्रभाग 2 जनवरी 2025 को आवश्यक वस्तुओं के दैनिक खुदरा कीमतें जारी कर दी हैं. इसके अनुसार आटा का अधिकतम खुदरा मूल्य 71 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है. यह कीमत 2009 से सर्वाधिक है. आटा की सर्वाधिक खुदरा कीमत नागालैंड में 50 रुपये और आंध्र प्रदेश में 48 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार अधिकतर राज्यों में आटा का खुदरा 45 रुपये प्रति किलो से अधिक दर्ज किया गया है.
दालों की कीमतों में भी बढ़त देखी जा रही है. उपभोक्ता मामले विभाग के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर चना दाल की अधिकत खुदरा कीमत 140 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई है. जबकि, तूर दाल 185 रुपये प्रति किलो और मूंग दाल 150 रुपये प्रति किलो दर्ज की गई है. इसके अलावा मसूर दाल 130 रुपये प्रति किलो है. दालों की कीमतों पर बढ़त का दबाव बना हुआ है यह खाद्य महंगाई दर को बढ़ाने की ओर संकेत दे रहा है. गोआ, पुडुचेरी में मसूर दाल की सर्वाधिक कीमतें दर्ज की गई हैं. वहीं, तूर दाल आंध्रा प्रदेश, चंडीगढ़ समेत कई राज्यों में औसत कीमत से महंगी बिक रही है.
सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार दालों की महंगाई दर नवंबर 2024 में 5.41 फीसदी दर्ज की गई है. जबकि, उससे पहले अक्टूबर 2024 में यह 7.43 फीसदी थी. दालों की महंगाई दर में दिसंबर के दौरान बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है. वहीं, नवंबर में अनाज की महंगाई दर 6.88 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 6.94 फीसदी थी. नवंबर के आंकड़ों में यह गिरावट ताजा फसलों की आवक के चलते हुआ है. लेकिन, दिसंबर और जनवरी में फिर से महंगाई दर में उछाल दिख सकता है.