सुपरमार्केट को उपज बेचने से बहुत दूर है छोटा किसान, रिसर्च में सामने आए ये कारण

सुपरमार्केट को उपज बेचने से बहुत दूर है छोटा किसान, रिसर्च में सामने आए ये कारण

सुपरमार्केट को सीधे अपनी उपज बेचने से किसानों की आय 14 प्रतिशत तक बढ़ी है, लेकिन ये भी सच्चाई है कि ज्यादातर किसान सुपरमार्केट को उपज बेचने से बहुत दूर हैं. इसको लेकर हाल ही में एक रिसर्च सामने आई है, जिसमें इसके पीछे के कारण बताए गए हैं.

A worker arranges goods in a Reliance supermarket in MumbaiA worker arranges goods in a Reliance supermarket in Mumbai
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Nov 16, 2024,
  • Updated Nov 16, 2024, 11:51 AM IST

इस बात का सरकार भी जोर-शोर से प्रचार कर रही है कि जब छोटे किसान सीधे सुपरमार्केट को अपनी उपज बेचेंगे तो बढ़िया फायदा होगा. लेकिन ज्यादातर किसान इसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. हालांकि सुपरमार्केट को अपनी उगाई फसल बेचने वाले किसानों की आय में 14 प्रतिशत की बढ़त तो हुई, लेकिन छोटे और कम जोत वाले किसानों को इसका लाभ मिलने की संभावना बहुत कम है. कॉर्नेल विश्वविद्यालय के टाटा-कॉर्नेल कृषि एवं पोषण संस्थान (टीसीआई) की एक रिसर्च रिपोर्ट में ये बात सामने आई है.

ज्यादातर किसान सुपरमार्केट से दूर

एक अंग्रेजी न्यूज़ वेबसाइट 'द हिंदू-बिजनेसलाइन' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि हाल ही में शोधकर्ताओं ने कृषि पर सुपरमार्केट के प्रभाव का पता लगाने के लिए, चार राज्यों में किसान परिवारों के क्षेत्रीय सर्वेक्षणों का विश्लेषण किया. इसका मकसद यह पता लगाना था कि किन परिस्थितियों में किसान सुपरमार्केट को अपना उत्पाद बेचकर कमाई कर सकते हैं. 

इस सर्वे में शामिल लगभग आधे किसान परिवारों ने बताया कि वे अपनी फसलें अपने गांवों में मौजूद सुपरमार्केट खरीद केंद्रों पर बेचते हैं, जबकि बाकी किसान पारंपरिक बाजारों और मंडियों के माध्यम से ही बेचते हैं. इस सर्वे में भी पता लगा कि सुपरमार्केट में उपज बेचने वाले किसान की शुद्ध आय 83,461 रुपये थी, जबकि पारंपरिक बाजारों में अपनी फसल बेचने वाले किसान की शुद्ध आय 71,169 रुपये थी.

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इसमें यह भी कहा गया है कि किसान की जोत ज्यादा है या कम, सिर्फ इस बात से अनुमान नहीं लगा सकते कि किसान सुपरमार्केट को अपनी फसल बेचेगा या नहीं. लेकिन फिर भी यह पाया गया कि संसाधनों की कमी और छोटी जोत वाले किसान सुपरमार्केट का रुख करें,  इसकी संभावना कम थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है, "स्पेश्लाइज्ड सब्जी फार्म और सिंचाई की सुविधा से लैस फार्म, सुपरमार्केट को अपनी फसल बेचने की अधिक संभावना रखते हैं."

किसान तक कैसे पहुंचाएं सुपरमार्केट

इस स्टडी के प्रमुख लेखक चंद्रा नुथलापति ने कहा कि यह अध्ययन नीति निर्माताओं को छोटे किसानों को आधुनिक खुदरा बाजारों का लाभ उठाने में मदद करने के लिए कई विकल्प प्रदान करता है. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में खरीद केंद्रों के विस्तार को बढ़ावा देना, साथ ही सिंचाई और सब्जी उत्पादन विस्तार सेवाओं में निवेश करना शामिल है. नथालपति ने कहा, "नीति निर्माताओं को सुपरमार्केट के निरंतर विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए, साथ ही सेवाओं और बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान सुपरमार्केट को अपना उत्पाद बेच सकें."

बता दें कि पिछले 20 सालों में भारत में सुपरमार्केट तेजी से फैला है, हालांकि वर्तमान में खाद्य खुदरा व्यापार छोटे पैमाने पर और बिखरे हुए हैं. कुछ विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की थी कि ग्रामीण क्षेत्रों में सुपरमार्केट और उनके खरीद केंद्रों के बढ़ने से किसानों की लेन-देन लागत कम होगी और बाजारों तक उनकी पहुंच बेहतर होगी. हालांकि, दूसरे विशेषज्ञों को डर था कि सुपरमार्केट की गुणवत्ता, स्थिरता और मात्रा के उच्च मानकों के कारण छोटे किसान पीछे छूट जाएंगें.

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