Chemical fertilizers: यूपी के 16 गावों के किसानों ने खेतों में खाद का प्रयोग किया बंद, अब करेंगे प्राकृतिक खेती

Chemical fertilizers: यूपी के 16 गावों के किसानों ने खेतों में खाद का प्रयोग किया बंद, अब करेंगे प्राकृतिक खेती

मुजफ्फरनगर के गंगा किनारे के 16 गांव के किसानों ने अब प्राकृतिक खेती अपनाने का फैसला किया है. जिले के 50 एकड़ जमीन पर 1560 किसान अब रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग नहीं करेंगे. किसानों ने अब फैसला किया है कि वह जैविक खाद के साथ-साथ नीम से तैयार होने वाले कीटनाशक का प्रयोग करेंगे.

धर्मेंद्र सिंह
  • Muzaffarnagar,
  • Mar 06, 2024,
  • Updated Mar 06, 2024, 11:29 AM IST

प्राकृतिक खेती का चलन अब बढ़ने लगा है. सरकार के द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे बताकर उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है. वही किसान भी अब रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान को देखते हुए रसायन मुक्त खेती को अपनाने लगे हैं. मुजफ्फरनगर के गंगा किनारे के 16 गांव के किसानों ने अब प्राकृतिक खेती अपनाने का फैसला किया है. जिले के 50 एकड़ जमीन पर 1560 किसान अब रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग नहीं करेंगे. किसानों ने अब फैसला किया है कि वह जैविक खाद के साथ-साथ नीम से तैयार होने वाले कीटनाशक का प्रयोग करेंगे. इससे न सिर्फ उनकी उपज पोषण से भरपूर होगी बल्कि गंगा के पानी को भी शुद्ध रखने में मदद मिलेगी.

16 गांव के किसानों ने अब रासायनिक खाद से किया तौबा

मुजफ्फरनगर जनपद के गंगा किनारे बसे 16 गांव के किसानों ने अब रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग नहीं करने का फैसला किया है. केंद्र और प्रदेश सरकार ने भी प्राकृतिक खेती से होने वाली उपज के लिए बाजार को विकसित करने में किसानों का सहयोग करने का वादा किया है. जिले के 16 गांव के 1560 किसानों के इस फैसले से न सिर्फ गंगा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा बल्कि खेत की उपज भी पोषण से युक्त होगी. जिले के फिरोजपुर, मजलिसपुर, तौकीर, महाराज नगर, भुवापुर, शुक्रताल खादर , बिहारगढ़, इलाहाबास, सीताबपुरी, दरियापुर, दरियापुर खेड़ी, जलालपुर नीला, हंसा वाला, अल्लूवाला, सियाली, महमूदपुर लालपुर, जीवनपुरी, हुसैनपुर गांव के किसानों का फैसला जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को मिलेगी सब्सिडी

रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के बढ़ते प्रयोग से न सिर्फ जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि गंगा नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. वहीं कृषि विभाग के द्वारा प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को 12000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी भी दी जा रही है. केंद्र सरकार के नमामि गंगे योजना के तहत जो किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ रहे हैं उनको सरकार के द्वारा सीधे 3 साल तक अनुदान देने का प्रावधान किया गया है.

प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को मिलता है प्रमाण पत्र

गंगा किनारे नमामि गंगे योजना के तहत गांव में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को पीजीएस इंडिया ग्रीन स्कोप प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. इस प्रमाण पत्र के बाद किसान अपना उत्पाद बेचने के लिए प्रमाणित हो जाता है. उसे बाजार में अच्छा दाम भी मिलता है. कृषि विभाग के उपनिदेशक संतोष यादव का कहना है कि इस खेती से न सिर्फ पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना में मदद मिलेगी बल्कि फसल लागत में कमी से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.

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