
देश में चीनी उद्योग की लगातार उठ रही मांग के बीच केंद्र सरकार अब चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करेगी. केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को बताया कि सरकार ने 2025-26 चीनी मार्केटिंग वर्ष के लिए 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दे दी है और अब आगे कीमतों की स्थिति का आकलन कर MSP बढ़ोतरी पर निर्णय लिया जाएगा. फरवरी 2019 से चीनी का MSP 31 रुपये प्रति किलो पर स्थिर है.
उद्योग की शीर्ष संस्था भारतीय चीनी एवं बायो-एनर्जी निर्माता संघ (ISMA) का कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ने के बाद यह कीमत अब वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाती. ISMA का तर्क है कि गन्ने का FRP (फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस) 2025-26 में बढ़कर 355 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो पहले 275 रुपये था.
इस बढ़ोतरी की वजह से चीनी की उत्पादन लागत भी बढ़कर लगभग 40.24 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है. उद्योग का सुझाव है कि MSP को कम से कम 40.2 रुपये प्रति किलो किया जाना चाहिए, जिससे मिलों को राहत मिले और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सके.
मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पिछले 2024-25 सीजन में सरकार ने 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी, जिसके बाद घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर रहीं. इस साल 15 लाख टन निर्यात की छूट दी गई है और इसके प्रभावों का अध्ययन कर MSP पर अंतिम फैसला किया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंत्रालय इस बात पर नजर रखेगा कि निर्यात की अनुमति का घरेलू चीनी कीमतों पर कैसा असर पड़ता है, इसके बाद ही MSP बढ़ोतरी पर कदम उठाया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार, खाद्य मंत्रालय के अधिकारी भी इस सुझाव पर व्यापक समीक्षा करेंगे कि MSP बढ़ाया जाए या नहीं. उद्योग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि MSP में संशोधन न केवल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किसानों के हितों से भी सीधा जुड़ा मुद्दा है.
ISMA ने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि FRP और MSP के बीच एक संस्थागत लिंक स्थापित किया जाए, ताकि भविष्य में मूल्य संबंधी असंतुलन न पैदा हो और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान मिलता रहे. संगठन ने 2025-26 के लिए सकल चीनी उत्पादन का अनुमान 343.5 लाख टन लगाया है, जो पिछले वर्ष के 296 लाख टन की तुलना में काफी अधिक है. (पीटीआई)