
भारत में रबी फसलों की बुआई 208.19 लाख हेक्टेयर को पार कर गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 19.46 लाख हेक्टेयर की महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्शाती है. सोमवार को कृषि विभाग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों में इस बात की जानकारी मिलती है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से जारी आकड़ें 11 नवंबर तक की तस्वीर पेश करते हैं. इन पर अगर यकीन करें तो दालों और श्री अन्न यानी मोटे अनाज की बुआई में इजाफा हुआ है.
एरिया कवरेज के आधार पर तैयार रिपोर्ट बताती है कि प्रमुख फसलों में बुआई बढ़ी है. दालें, मोटे अनाज (श्री अन्न) और तिलहनी फसलों में इजाफा हुआ है जो रबी सीजन की मजबूत शुरुआत को दर्शाती है. दालों का क्षेत्र 52.82 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा.
दालों में मजबूत बढ़ोतरी देखी गई है और बुआई बढ़कर 52.82 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. यह पिछले साल के 48.93 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है. यानी कुल 3.88 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज हुई है. मुख्य योगदान देने वाली फसलें इस प्रकार हैं:
हालांकि, कुछ फसलों जैसे उड़द, मूंग, कुसुम (लथायरस) और कुछ औ दालों के अंतर्गत मामूली गिरावट दर्ज की गई है. श्री अन्न और मोटे अनाजों का क्षेत्र भी बढ़कर 15.53 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के 13.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में 2.04 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्शाता है.
जिन फसलों में महत्वपूर्ण इजाफा हुआ है, वो कुछ इस तरह से हैं-
ज्वार: 8.82 लाख हेक्टेयर
मक्का: 4.26 lakh हेक्टेयर
रागी, जौ और छोटे बाजरा (स्मॉल मिलेट्स) में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है. जबकि तिलहनी फसलों की बुवाई 66.17 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो साल-दर-साल आधार पर 3.24 लाख हेक्टेयर की वृद्धि है. रेपसीड और सरसों की बुवाई 64.23 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है यानी इसमें 3.71 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है. इसी तरह से सैफ्लॉवर) और सूरजमुखी में भी मामूली सुधार देखने को मिला है. हालांकि, मूंगफली, तिल और अलसी (लिनसीड) में हल्की गिरावट दर्ज की गई है.
गेहूं की बुवाई 66.23 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जिसमें 9.68 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है, जबकि धान का क्षेत्र 7.44 लाख हेक्टेयर पर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.62 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्शाता है. कुल मिलाकर, रबी फसलों के तहत बुवाई क्षेत्र बढ़कर 208.19 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो 2024–25 की इसी अवधि के 188.73 लाख हेक्टेयर की तुलना में काफी अधिक है. कृषि विभाग को उम्मीद है कि सर्दियों की बारिश का पैटर्न स्थिर होने के साथ आने वाले हफ्तों में बुवाई गतिविधियों में और तेजी आएगी.
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