
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दर्जनों फूड प्रॉडक्ट्स को उनके रेसिप्रोकल टैरिफ सिस्टम से छूट देने के फैसला किया है. इस फैसले से भारतीय कृषि निर्यातकों को बड़ा फायदा मिलने की बात कही जा रही है. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इससे भारतीय खाद्य पदार्थों की जो चमक खो गई थी, वह फिर से हासिल हो सकती है और उन्हें फिर से बढ़ावा मिल सकता है. शुक्रवार को ट्रंप ने उपभोक्ताओं में बढ़ती अमेरिकी किराना कीमतों को लेकर चिंताओं के बीच बीफ समेत 200 से ज्यादा खाद्य फूड प्रॉडक्ट्स पर लगाए गए टैरिफ हटा दिए.
अमेरिकी सरकार ने जिन खाद्य उत्पादों पर टैरिफ कम किया गया है. उनमें भारत से अमेरिका को निर्यात की जाने वाली कई वस्तुएं जैसे काली मिर्च, लौंग, जीरा, इलायची, हल्दी, अदरक, चाय की कई किस्में, आम से बने उत्पाद और काजू जैसे मेवे शामिल हैं. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि लगभग ऐसी 50 प्रोसेसेड फूड कैटेगरी हैं, जिन्हें इस फैसले से लाभ होगा.
पिछले वर्ष इन कैटेगरी से 491 मिलियन डॉलर मूल्य के खाद्य उत्पादों का भारत से अमेरिका को निर्यात किया गया था. इसमें कॉफी और चाय के अर्क, कोको-आधारित उत्पाद, फलों के रस, आम से बनी चीजें और वेजीटेबल वैक्स शामिल हैं. 2024 में भारत से अमेरिका को 359 मिलियन डॉलर के मसालों का निर्यात किया गया था. अन्य 48 प्रकार के फल और मेवे, जिनमें नारियल, अमरूद, आम, काजू, केले, सुपारी और अनानास शामिल हैं. टैरिफ कम होने से इसे भी लाभ होगा.
यूरोपियन यूनियन और वियतनामी सप्लायर्स पर जहां 15 से 20 फीसदी टैरिफ लगाया गया था तो वहीं भारतीय चाय, कॉफी, मसालों और काजू के निर्यातकों को और ज्यादा नुकसान हुआ. ट्रंप ने कुछ भारतीय उत्पादों पर टैरिफ को दोगुना करके 50 फीसदी तक कर दिया था. भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (FIEO) के महानिदेशक अजय साहा के हवाले से न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि 2.5 अरब डॉलर से 3 अरब डॉलर के बीच के निर्यात को इस टैरिफ छूट से फायदा मिलेगा.
उन्होंने कहा कि यह आदेश प्रीमियम, विशेष (स्पेशलिटी) और वैल्यू-एडेड प्रॉडक्ट्स के लिए नया अवसर खोलता है. जो निर्यातक ज्यादा कीमत वाले सेगमेंट की ओर शिफ्ट होंगे, वो मूल्य दबाव से बेहतर तरीके से सुरक्षित रहेंगे और बढ़ती उपभोक्ता मांग का लाभ उठा सकेंगे. व्यापार और कृषि निर्यात नीति से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि ये छूटें अमेरिका-भारत के बीच चल रही ट्रेड वार्ता के लिए भी एक सकारात्मक संकेत हैं. साथ ही इससे इस साल शुल्क वृद्धि से पैदा हुए निर्यात दबाव को कम करने में मदद कर सकती है.
अमेरिका में भारतीय सामानों का निर्यात सितंबर में साल-दर-साल लगभग 12 फीसदी से गिरकर 5.43 अरब डॉलर रह गया क्योंकि 27 अगस्त से बढ़े हुए टैरिफ लागू कर दिए गए थे. साल 2024 में अमेरिका को भारत के कुल 87 अरब डॉलर के निर्यात में से करीब 5.7 अरब डॉलर कृषि उत्पादों के थे, और इन्हीं पर सबसे ज्यादा असर पड़ा. भारतीय कृषि निर्यात नीति से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'इस कदम से चाय, कॉफी, काजू, फल और सब्जियों के भारतीय किसानों और निर्यातकों को फायदा होगा.'
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका के लिए भारत के कृषि निर्यात सीमित हैं क्योंकि यह मुख्य रूप से कुछ हाई-वैल्यू मसालों और खास प्रोडक्ट्स तक सिमटे हुए हैं इसलिए फायदा भी सीमित ही मिलेगा. भारत की उन महत्वपूर्ण छूट प्राप्त वस्तुओं जैसे टमाटर, खट्टे फल, खरबूजे, केले और फलों के रस में बड़ी हिस्सेदारी नहीं है. उन्होंने आगे कहा, 'टैरिफ में किया गया बदलाव मसालों और विशेष बागवानी उत्पादों में भारत की स्थिति को थोड़ा मजबूत करेगा और टैरिफ बढ़ने के बाद अमेरिका से खोई हुई कुछ मांग वापस लाने में मदद करेगा.'
यह भी पढ़ें-