Rubber Production: दूर होंगी रबर किसानों की मुश्किलें, बोर्ड ने उठाए बड़े कदम 

Rubber Production: दूर होंगी रबर किसानों की मुश्किलें, बोर्ड ने उठाए बड़े कदम 

साल 2024-25 के दौरान भारत का नेचुरल रबर इंपोर्ट 9,000 करोड़ रुपये को पार कर गया. यह घरेलू प्रोडक्शन में सप्लाई-डिमांड के अंतर को दिखाता है. इसमें सुधार करने के लिए कई रबर रिसर्च स्टेशनों पर चल रहे क्लोनल ट्रायल से पता चलता है कि अगले दो सालों में ज्‍यादा पैदावार देने वाले, क्लाइमेट-रेजिलिएंट रबर क्लोन पेश किए जा सकते हैं. 

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 31, 2025,
  • Updated Dec 31, 2025, 2:05 PM IST

रबर बोर्ड ने नई कोशिशों की तरफ कदम बढ़ाया है. नेचुरल रबर सेक्टर में प्रॉफिट और सस्टेनेबिलिटी को बेहतर बनाने के लिए और प्रोडक्शन कॉस्ट कम करने के मकसद से इन कोशिशों को शुरू किया गया है. इसके अलावा , प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और आयात पर भी भारत की निर्भरता को काम करने की कोशिशें होंगी. रबर बोर्ड ने इसके तहत ही टेक्नोलॉजी बेस्‍ड और मार्केट पर फोकस करने वाली कई कोशशों को आगे बढ़ाना शुरू किया है. इन कोशिशों से किसानों को भी फायदा हो सकेगा. 

रबर उत्‍पादकों की दिक्‍कतें 

रबर बोर्ड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एम वसंतागेशन ने अखबार बिजनेसलाइन को बताया है कि रबर रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एबनॉर्मल लीफ फॉल, कोलेटोट्रीकम सर्कुलर लीफ स्पॉट और कोरिनेस्पोरा लीफ डिजीज जैसी बड़ी बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए ड्रोन-बेस्ड स्प्रेइंग के लिए रिकमेंडेशन को फाइनल करने के एडवांस्ड स्टेज में है. इस कदम से लेबर डिपेंडेंस और ऑपरेशनल कॉस्ट में काफी कमी आने की उम्मीद है. यह रबर उगाने वालों के लिए दो बड़ी दिक्कतें हैं. 

लागत में आएगी कमी 

उन्‍होंने बताया कि एक और कॉस्ट-कटिंग इंटरवेंशन जिसका इवैल्यूएशन किया जा रहा है, वह है स्प्रेइंग के लिए नैनो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड ब्लेंडेड ऑयल. इसने इन विट्रो कंडीशन में अच्छे रिजल्ट दिखाए हैं. अगर फील्ड ट्रायल सफल होते हैं, तो यह टेक्नोलॉजी प्लांट प्रोटेक्शन पर खर्च को और कम कर सकती है. RRII के रबर प्रोडक्ट इनक्यूबेशन सेंटर ने RubFab भी बनाया है. बताया जा रहा है कि यह बारिश से बचाने के लिए एक नेचुरल रबर लेटेक्स-बेस्ड कंपाउंड है. उम्मीद है कि यह प्रोडक्ट पुराने प्लास्टिक रेन गार्ड की जगह ले लेगा, लागत में तेजी से कमी लाएगा और पर्यावरण और वर्कर की सुरक्षा के फायदे देगा. 

कैसे कम होगा आयात 

साल 2024-25 के दौरान भारत का नेचुरल रबर इंपोर्ट 9,000 करोड़ रुपये को पार कर गया. यह घरेलू प्रोडक्शन में सप्लाई-डिमांड के अंतर को दिखाता है. इसमें सुधार करने के लिए कई रबर रिसर्च स्टेशनों पर चल रहे क्लोनल ट्रायल से पता चलता है कि अगले दो सालों में ज्‍यादा पैदावार देने वाले, क्लाइमेट-रेजिलिएंट रबर क्लोन पेश किए जा सकते हैं. 

यह भी पढ़ें- 

 

MORE NEWS

Read more!