Gardening Tips: ठंड में बागवानी का उठाएं लुत्फ, लेकिन भूलकर भी न करें यह एक गलती

Gardening Tips: ठंड में बागवानी का उठाएं लुत्फ, लेकिन भूलकर भी न करें यह एक गलती

ठंड में बागवानी करते समय सबसे बड़ी और आम गलती है जरूरत से ज्यादा पानी देना. यही एक चूक पौधों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. सर्दियों में पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है और मिट्टी में नमी ज्यादा समय तक बनी रहती है. ऐसे में ज्‍यादा पानी देने से जड़ों में सड़न की समस्या पैदा हो जाती है. कई बार पौधे ऊपर से हरे नजर आते हैं लेकिन अंदर से उनकी जड़ें खराब हो चुकी होती हैं.

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Gardening Tips: ठंड में बागवानी का उठाएं लुत्फ, लेकिन भूलकर भी न करें यह एक गलती

सर्दियों का मौसम बागवानी प्रेमियों के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. इस मौसम में न सिर्फ सब्जियां तेजी से बढ़ती हैं, बल्कि फूलों और सजावटी पौधों की रंगत भी अलग ही नजर आती है. गेंदा, गुलाब, पेटूनिया, मटर, पालक, मेथी, गाजर और मूली जैसी फसलें ठंड में बेहतर उत्पादन देती हैं. लेकिन अगर बागवानी के दौरान एक बड़ी गलती कर दी जाए, तो सारा मेहनत पर पानी फिर सकता है. यूं तो ठंड में बागवानी करते समय कई बातों का ध्‍यान रखना होता है लेकिन एक ऐसी बात है जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं. आज हम आपको बताते हैं कि वो कौन सी एक बात है जिसपर ध्‍यान न देकर आप बहुत बड़ी गलती करते हैं. 

पानी का रखें ध्‍यान 

ठंड में बागवानी करते समय सबसे बड़ी और आम गलती है जरूरत से ज्यादा पानी देना. यही एक चूक पौधों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. सर्दियों में पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है और मिट्टी में नमी ज्यादा समय तक बनी रहती है. ऐसे में ज्‍यादा पानी देने से जड़ों में सड़न की समस्या पैदा हो जाती है. कई बार पौधे ऊपर से हरे नजर आते हैं लेकिन अंदर से उनकी जड़ें खराब हो चुकी होती हैं. ज्‍यादा पानी की वजह से मिट्टी में एयर वेंटीलेश्‍न रुक जाता है और जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. इसका नतीजा यह होता है कि पौधे मुरझाने लगते हैं, पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और धीरे-धीरे पौधा पूरी तरह खराब हो जाता है. खासकर गमलों में लगे पौधों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि वहां पानी निकासी की जगह सीमित होती है.

कैसे पता करें कब देना है पानी 

इस गलती से बचने के लिए सबसे जरूरी है पानी देने का सही तरीका अपनाना. सर्दियों में तभी पानी दें जब मिट्टी की ऊपरी सतह पूरी तरह सूखी महसूस हो. उंगली से मिट्टी जांचना सबसे आसान तरीका है. अगर ऊपर की दो से तीन सेंटीमीटर मिट्टी सूखी है, तभी पानी देना चाहिए. इसके अलावा हमेशा सुबह के समय हल्का पानी दें ताकि दिन में धूप मिलने पर अतिरिक्त नमी सूख सके. ठंड में पाले का डर भी बना रहता है. इसलिए भी ज्‍यादा पानी देने से बचना चाहिए. जरूरत से ज्यादा नमी पौधों को पाले से बचाने के बजाय और ज्यादा कमजोर बना देती है. पाले से बचाव के लिए पौधों को ढकना और सही जगह पर रखना ज्यादा कारगर उपाय है.

खाद का इस्‍तेमाल भी सोच कर करें 

साथ ही ठंड में खाद का इस्तेमाल भी सीमित मात्रा में करना चाहिए. अधिक पानी के साथ ज्यादा खाद देने से फंगस और जड़ सड़न की समस्या और बढ़ जाती है. इस मौसम में गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट की हल्की मात्रा ही पर्याप्त होती है. हर 20 से 25 दिन में खाद देना बेहतर रहता है. ध्यान रखें कि ठंड में पौधों को पर्याप्त धूप भी मिले. सुबह की हल्की धूप पौधों के लिए बहुत फायदेमंद होती है और मिट्टी में जमा अतिरिक्त नमी को सूखने में मदद करती है. गमलों को ऐसी जगह रखें जहां कम से कम 4 से 6 घंटे की धूप मिल सके.
 

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