किस मसाला फसल की वैरायटी है सुप्रभा? इस महीने करें खेती तो बोरी भरके मिलेगी पैदावार

किस मसाला फसल की वैरायटी है सुप्रभा? इस महीने करें खेती तो बोरी भरके मिलेगी पैदावार

कई फसलें अपनी औषधीय गुणों और फायदों के लिए मशहूर होती हैं. ऐसी ही एक मसाला फसल है जिसकी वैरायटी का नाम सुप्रभा है. इसकी खेती मई के महीने में होती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस किस्म की खासियत और कैसे करें इसकी खेती.

किस मसाले फसल की वैरायटी है सुप्रभाकिस मसाले फसल की वैरायटी है सुप्रभा
संदीप कुमार
  • Noida,
  • May 09, 2025,
  • Updated May 09, 2025, 11:56 AM IST

भारत में उगाई जाने वाली कई ऐसी फसलें हैं जो अपने स्वाद और पहचान के लिए जानी जाती हैं. साथ ही कई फसलें अपनी औषधीय गुणों और फायदों के लिए मशहूर होती हैं. ऐसी ही एक मसाला फसल है जिसकी वैरायटी का नाम सुप्रभा है. इसकी खेती मई के महीने में होती है. दरअसल, ये अदरक की एक खास किस्म है. मसाला फसलों में अदरक एक महत्वपूर्ण फसल है. अदरक की मांग सर्दी के दिनों में काफी बढ़ जाती है. अदरक को चाय से लेकर सब्जी बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में किसान अदरक की खेती कर बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं अदरक की किस्म सुप्रभा की खासियत. इसके अलावा ये भी जानेंगे कि अदरक की पांच उन्नत वैरायटी कौन सी हैं?

अदरक की पांच उन्नत किस्में

सुप्रभा किस्म: ये अदरक की एक खास किस्म है. सुप्रभा किस्म के पौधों के कल्ले अधिक निकलते हैं. इसके कंद का छिलका सफेद और चमकदार होता है. इस किस्म को तैयार होने में 225 से 230 दिनों का समय लगता है. इसके अलावा ये  किस्म विगलन रोग प्रतिरोधक होता है. इस किस्म से किसानों को प्रति एकड़ 80 से 90 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.

रियो डी जेनेरियो: ये अदकर की एक हाइब्रिड किस्म है. वहीं, ये अदरक की अधिक उत्पादन वाली किस्म है. इस किस्म का छिलका सफेद और चमकदार होता है. इस किस्म की उपज क्षमता 200–230 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. ये किस्म 225 से 230 दिन में तैयार हो जाती है. यह किस्म प्रकंद विगलन रोग के प्रति सहनशील होती है.

सुरभि किस्म: इस किस्म के अदरक की गांठें आकर्षक होती हैं. इस किस्म को पक कर तैयार होने में 225 से 235 दिनों का समय लगता है. यह किस्म प्रकंद विगलन रोग के प्रति सहनशील होती है. इससे आप प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

मरान किस्म: ये अदरक की एक खास किस्म है. इस किस्म के रंग हल्के सुनहरे होते है. वहीं, ये किस्म 230-240 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज क्षमता 175 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इस किस्म में मृदु विगलन रोग नहीं लगता है. मृदु विगलन रोग में पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है और पत्तियां सूख जाती हैं.

अथिरा किस्म: अथिरा किस्म किसानों के बीच काफी मशहूर है. इस किस्म की फसल को तैयार होने में करीब 220 से 240 दिनों का समय लगता है. प्रति एकड़ खेत से 84 से 92 क्विंटल तक अदरक की उपज होती है. इससे करीब 22.6 प्रतिशत सूखी अदरक, 3.4 प्रतिशत की मात्रा प्राप्त होती है. इस किस्म को अच्छी किस्म के रूप में माना जाता है.

ऐसे करें अदरक की खेती

अदरक की खेती गर्म प्रदेशों में की जाती है. इसके लिए औसतन 25 डिग्री से 35 डिग्री का तापमान उपयुक्त रहता है. इसके खेतों का चयन करते वक्त ये ध्यान रखें कि वहां जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध हो. जल निकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं होने पर फसल को भारी नुकसान हो सकता है. साथ ही ध्यान रखें कि अदरक की फसल बलुई दोमट और चिकनी मिट्टी में काफी अच्छे तरीके से विकसित होती है.

वहीं, अदरक की बुवाई करते समय सबसे जरूरी चीज होती है कतार. इसके लिए आपको एक कतार से दूसरी कतार की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 25 से 25 सेंटीमीटर होना चाहिए. बुवाई के बाद हल्की मिट्टी या गोबर की खाद से इसके बीजों को ढक देना चाहिए.

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