जूट पैकेजिंग चुनौतियों से जूझ रहीं चीनी मिलें, नियमों में ढील देने की मांग का मामला कोर्ट पहुंचा

जूट पैकेजिंग चुनौतियों से जूझ रहीं चीनी मिलें, नियमों में ढील देने की मांग का मामला कोर्ट पहुंचा

जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम 1987 के नियमों का पालन करने के पक्षधर भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन (IJMA) ने आरोप लगाया है कि चीनी मिलें और चीनी इंडस्ट्री जूट पैकेजिंग निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं. इससे जूट इंडस्ट्री और जूट उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. मामला कोलकाता हाईकोर्ट पहुंच गया है और अगली सुनवाई 4 मार्च को प्रस्तावित है.

कोलकाता हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई आगामी 4 मार्च को होनी है.कोलकाता हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई आगामी 4 मार्च को होनी है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 27, 2025,
  • Updated Feb 27, 2025, 2:10 PM IST

केंद्र सरकार की ओर से जूट की बोरियों में खाद्यान्य और चीनी पैक करने के लिए नियम बना रखा है. इसके तहत खाद्यान्न की 100 फीसदी पैकिंग जूट बोरियों में होगी और कुल चीनी की 20 फीसदी पैकिंग जूट के थैलों या बोरियों में होगी. इस अनिवार्य नियम के चलते चीनी मिलें और चीनी इंडस्ट्री दिक्कतों से गुजर रही है. कहा गया है कि चीन के बल्क खरीदार जूट बोरियों में पैकिंग से चीनी की क्वालिटी में गिरावट की शिकायत कर खरीदने में आनाकानी करते हैं. इसलिए 20 फीसदी अनिवार्यता से राहत दी जाए. यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट में पहुंच गया है और आगामी 4 मार्च को मामले की सुनवाई होनी है. 

जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (JPM 1987) के नियमों का पालन करने के पक्षधर भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन (IJMA) ने आरोप लगाया है कि चीनी मिलें और चीनी इंडस्ट्री जूट पैकेजिंग के लिए अधिनियम के तहत निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं. इससे जूट इंडस्ट्री और जूट उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. इसके चलते एसोसिएशन ने पिछले साल केंद्र और एजेंसियों के खिलाफ कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें जेपीएम अधिनियम 1987 के निर्देशों का सख्ती से पालन कराने की मांग की गई थी. 

जूट इंडस्ट्री को नुकसान से हाईकोर्ट पहुंचा मामला 

भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन (IJMA) ने याचिका में चीनी मिलों और निजी खाद्यान्न खरीददारों की ओर से बड़े पैमाने पर निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया था. कहा था कि इससे जूट उद्योग को भारी नुकसान हुआ है. एसोसिएशन ने याचिका में जूट आयुक्त कार्यालय, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय सहित सरकारी एजेंसियों समेत अन्य उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में लापरवाही का भी आरोप लगाया गया था. एसोसिएशन ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग से विश्लेषण करने और 4 मार्च को होने वाली सुनवाई में जवाब मिलने की उम्मीद जताई है. 

20 फीसदी अनिवार्य जूट पैकेजिंग से राहत की मांग 

इस मामले में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने चीनी इंडस्ट्री के मुद्दों का हवाला देते हुए 20 फीसदी जूट पैकेजिंग अनिवार्य नियम में छूट देने के लिए अदालत का रुख किया है. मंत्रालय के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने कोलकाता हाईकोर्ट को सूचित किया है कि चीनी मिलों और चीनी उद्योग संघों को चीनी की जूट पैकेजिंग के साथ कई तरह चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए कुल चीनी उत्पादन के 20 फीसदी के लिए अनिवार्य जूट पैकेजिंग से छूट मांगी है.

जूट बोरियों से चीनी में नमी और जमने का जोखिम 

इस सप्ताह हाईकोर्ट के समक्ष ताजा दलील में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और चीनी निदेशालय ने कहा कि उद्योग संघों और चीनी मिलों ने अपने आवेदनों में जूट पैकेजिंग की चुनौतियों को उजागर किया है. चीनी मिलों ने कहा है कि चीनी में ऐसे इंटरनल गुण होते हैं जो इसे नमी सोखने के लिए सेंसिटिव बनाते हैं. जूट की बोरियों में नमी को आकर्षित करने और नमी बनाए रखने की अधिक प्रवृत्ति होती है, जो इन बोरियों में पैक चीनी की क्वालिटी के लिए जोखिम पैदा करती है. मिलों ने कहा कि नमी चीनी को जकड़ सकती है और उसे जमा सकती है. इससे यह चीनी खाने या इस्तेमाल के लिए उपयुक्त नहीं रकती है. 

चीनी में जूट के रेशे मिलने की शिकायत 

चीनी मिलों की ओर से कहा गया कि पेप्सी और कोक जैसे चीनी के बल्क खरीदारों की ओर से जूट की बोरियों में पैक चीनी को नहीं खरीदने के मामले सामने आए हैं. कहा गया कि स्वीटनर में जूट के रेशे मिल जाते हैं, जिससे क्वालिटी प्रभावित होती है. ऐसे में प्रोडक्ट की क्वालिटी में गिरावट के चलते जूट बैग में पैक चीनी खरीदने में बड़े खरीदारों ने अनिच्छा दिखा चुके हैं. 

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