Shweta Kapila Cow Dairy Farming: श्वेत कपिला मवेशियों की एक शुद्ध भारतीय नस्ल है. इसे गौंठी या गावठी धावी के नाम से भी जाना जाता है. यह गाय पूरी तरह से सफेद रंग की होती है. वहीं इस नस्ल के मवेशी ज्यादातर गोवा के उत्तर और दक्षिण जिलों में पाए जाते हैं. गाय आकार में मध्यम से छोटी होती है. जैसा कि नाम से पता चलता है, नाक की नोक से पूंछ की नोक तक पूरी तरह सफेद होती है. इसकी पलकें, भीतरी कान और पूंछ भी सफेद होती है. इस नस्ल का सिर छोटा और सीधा होता है, जिसके कारण यह छोटा और नुकीला होता है. सींगों का आकार भी छोटा होता है, सींग थोड़े उभरे हुए और बाहर की ओर निकले होते हैं. कभी-कभी सीधे बाहर या सीधे ऊपर की ओर तिरछे भी होते हैं. गोवा में, इस नस्ल के अधिकांश मवेशियों को विभिन्न गौशालाओं में रखा जाता है. वहीं वालपोई और सीकेरी क्षेत्र (उत्तरी गोवा) के किसानों और बुजुर्गों का मानना है कि श्वेत कपिला गायों के दूध में औषधीय गुण होते हैं.
अगर दूध देने की क्षमता की बात करें तो एनडीडीबी के अनुसार श्वेत कपिला नस्ल की गाय एक ब्यान्त में 510 लीटर तक दूध दे सकती है, जबकि न्यूनतम 350 और अधिकतम 650 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में आइए श्वेत कपिला गाय की पहचान और विशेषताएं जानते हैं-
• प्रौढ़ गाय की ऊंचाई औसतन 107.4 सेमी. होती है, जबकि बैल की ऊंचाई 113 सेमी. होती है.
• गाय की औसतन लंबाई 144.7 सेमी. होती है, जबकि बैलों की 153.2 सेमी. होती है.
• श्वेत कपिला गाय की दूध में औसतन 5.21 फैट प्रतिशत पाया जाता है.
• दूध में न्यूनतम 4.5 प्रतिशत फैट और अधिकतम 6.4 प्रतिशत फैट पाया जाता है.
• गायों का वजन औसतन 250-300 किलोग्राम होता है, जबकि बैलों का वजन 350-400 किलोग्राम होता है.
• श्वेत कपिला नस्ल की गाय एक ब्यान्त में 510 लीटर तक दूध देती है.
• जबकि न्यूनतम 350 और अधिकतम 650 लीटर तक दूध देती है.
• श्वेत कपिला गाय पहली ब्यान्त की औसतन 45 माह के उम्र में होती है.
• मवेशी भोजन के लिए चारा और चराई पर निर्भर होते हैं.
• दूध में औषधीय गुण होते हैं.
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श्वेत कपिला नस्ल की गाय को होने वाली बीमारियों की बात करें तो पाचन प्रणाली की बीमारियां, जैसे- सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त और पीलिया आदि होने की आशंका होती है, जबकि रोगों की बात करें तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह-खुर रोग, मैगनीश्यिम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना, और दाद आदि होने की आशंका होती है.