
बजट 2024-25 से पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने शोध आधारित एक रिपोर्ट जारी की है. अपनी इस रिपोर्ट में SBI ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को एक राजनीतिक हथियार बताया है. SBI ने अपनी रिपोर्ट में MSP को जाल की संंज्ञा भी दी है. साथ ही SBI ने कहा कि MSP की राजनीति स्मार्ट और उभरती कृषि पद्धतियों की ओर निरंतर बदलाव को रोक रही है. इसको लेकर SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि MSP के प्रति जुनून समग्र कृषि दृष्टिकोण को लेकर होने वाले बदलाव को धुंधला कर रहा है. इसके साथ ही SBI ने अपनी रिपाेर्ट में MSP गारंटी कानून की मांग को अपरोक्ष रूप से खारिज करते हुए इसका विकल्प भी पेश किया है. आइए जानते हैं कि SBI ने अपनी रिपोर्ट में MSP गारंटी कानून का क्या विकल्प सुझाया है. साथ ही जानते हैं कि SBI ने MSP क्यों जाल बताते हुए इसे राजनीतिक हथियार बताया है.
शांता कुमार कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप SBI ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में सिर्फ 6 फीसदी उपज ही MSP पर खरीदी जाती है, जबकि 22 फसलें, जिनकी MSP निर्धारित है, उनकी हिस्सेदारी भी कुल कृषि उत्पादन में सिर्फ 17 फीसदी है, जबकि 71 फीसदी कृषि उपज सब्जियों, फलों, मत्स्य पालन, वानिकी और पशुधन पर आधारित है. SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि MSP की राजनीति से 71 फीसदी कृषि उत्पाद खरीद पर चर्चा नहीं होती है. क्योंकि सर्वोत्तम प्रयासों के बाद भी, सरकार एमएसपी पर कुल उत्पादन का 6% खरीदने में सक्षम है. इस हवाले के साथ SBI ने MSP को राजनीतिक हथियार बताते हुए कहा है कि राजनीतिक हथियार के रूप में एमएसपी कृषि क्षेत्र का सामना करने वाले मुद्दों को अस्पष्ट करता है.
SBI ने अपनी रिर्पोट में MSP गारंटी कानून पर कहा है कि किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. जिसका मतलब ये है कि किसानों को 22 फसलों की MSP प्राप्त करने के कानूनी प्रावधान होंगे. जब किसान उन्हें बेचना चाहेंगे.
SBI अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि MSP गारंटी कानून लागू कर दिया जाए और अगर MSP के तहत सभी फसलों की खरीद करती है. तो वित्त वर्ष 24 में ऐसी फसलों की खरीद के लिए लगभग 13.5 लाख करोड़ खर्च करने होंगे, जो फसल खरीद की लागत होगी. इससे फलों और सब्जियों जैसी गैर-एमएसपी फसलों की उपेक्षा होगी तो वहीं इस सेक्टर में निजी निवेश भी हतोत्साहित होगा.
SBI ने अपनी रिपोर्ट में MSP गारंटी कानूनी के विकल्प के तौर अल्पकालिक और दीर्घकालीक सुझावों की सिफारिश की हैं. अल्पकालिक विकल्प के तौर पर SBI ने निजी व्यापारियों को MSP पर या उससे अधिक कीमत पर फसल खरीदने के लिए बाध्य करने की सिफारिश की है. वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर किसानों के बिक्री मूल्य और MSP के बीच अंतर की भरपाई किसानों को करने का सिफारिश की है.
इसी तरह दीर्घकालीन विकल्प के तौर पर फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने, किसानों की आय के अवसरों को बढ़ाने के लिए उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देने की सिफारिश की है. इसके साथ ही कृषि विपणन बुनियादी ढांचे को मजबूत कर, कृषि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने की सिफारिश की है
SBI ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों में मंडी ढांचा मजबूत करने की सिफारिश की है. SBI ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्यों में अधिक मंडियों का विकास से प्रत्यक्ष उपभोक्ता किसान इंटरफेस की आवश्यकता है, इसमें राज्यों को अग्रणी भूमिका निभानी होगी.
जरूरत है कि साप्ताहिक ग्रामीण बाजार की तरह शहरी हाट बनाए जाए, जिससे किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से मिलने में मदद मिलेगी. महाराष्ट्र और बिहार ने विनियमित कृषि उपज बाजार समिति (APMC) थोक बाजारों या मंडियों के बाहर पशुधन सहित सभी कृषि वस्तुओं के व्यापार की अनुमति दी थी, इससे किसानों को अपनी उपज सीधे खुदरा विक्रेताओं को बेहतर कीमत पर बेचने में मदद मिल सकती है, हालांकि, राज्य सरकार को इसके लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना चाहिए.