
चीन में घरेलू मांग की सुस्ती और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने वैश्विक वनस्पति तेल व्यापार की दिशा बदल दी है, जिसके चलते भारतीय बाजार में चीन से सोयाबीन तेल का आयात अभूतपूर्व तेजी से बढ़ रहा है. कस्टम के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में चीन ने रिकॉर्ड 70,877 टन सोयाबीन तेल का निर्यात किया, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा भारत की ओर आया. वर्ष 2025 के पहले दस महीनों में यह आपूर्ति 3.29 लाख टन तक पहुंच गई है, जो पिछले पूरे साल की तुलना में लगभग तीन गुना है.
चीन लंबे समय से आयातित सोयाबीन पर अपनी निर्भरता को एक रणनीतिक कमजोरी मानता रहा है. सोयाबीन से ही पशुचारा और खाना पकाने का तेल तैयार होता है, इसलिए वैश्विक आपूर्ति में जरा-सा भी व्यवधान उसकी खाद्य सुरक्षा पर असर डाल सकता है. लेकिन इस समय स्थिति उलट हो गई है.
‘बिजलेनसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अमेरिका और हाल ही में अमेरिका से मिलने वाली बड़ी खेपों के बीच चीन की अपनी घरेलू खपत सुस्त पड़ी हुई है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर तैयार हुआ सोयाबीन तेल गोदामों में जमा है. स्थानीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ते ही बाहर खाने की आदतें भी कम हुई हैं, जिससे रेस्तरां उद्योग में तेल की खपत और गिर गई है.
इस अतिरिक्त उत्पादन को खपाने के लिए चीनी प्रोसेसर अब नए बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. यह बदलाव भारत के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन तेल आयातक है. चीन और भारत के बीच हाल के महीनों में संबंधों में आई नरमी, साथ ही अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में अस्थायी सुधार, इस व्यापार को और सहज बना रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह नई आपूर्ति लाइन आने वाले महीनों में और व्यस्त होगी.
भारत की बड़ी खाद्य-तेल कंपनियों में से एक, पतंजलि फूड्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष आशीष आचार्य ने कहा कि चीन से आने वाला सोयाबीन तेल गुणवत्ता में दक्षिण अमेरिकी तेल जितना ही अच्छा है और कीमत में 10 से 15 डॉलर प्रति टन सस्ता पड़ रहा है. साथ ही चीन की पूर्वी बंदरगाहों से भारत के पूर्वी तट तक इसे पहुंचने में महज 10 से 12 दिन लगते हैं, जबकि ब्राजील या अर्जेंटीना से आने वाली खेपों को 50 से 60 दिन का समय लगता है.
यह तेज डिलीवरी भारत के खरीदारों के लिए अतिरिक्त लाभ दे रही है. आचार्य बताते हैं कि नवंबर में अभी तक चीन से लगभग 70,000 टन तेल आ चुका है और महीने के अंत तक यह मात्रा 12,000 टन और बढ़ सकती है. अनुमान है कि नवंबर से अप्रैल तक छह महीनों में चीन की आपूर्ति 3.5 लाख टन तक पहुंच सकती है, जिससे वह इस अवधि में भारत का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन जाएगा.
चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन तेल उत्पादक है और हर साल लगभग 2 करोड़ टन उत्पादन करता है. पहले इसका अधिकांश हिस्सा घरेलू खपत में चला जाता था और कई बार तो मांग पूरी करने के लिए उसे आयात तक करना पड़ता था. लेकिन, इस वर्ष परिस्थिति उलट गई है. व्यावसायिक भंडार नवंबर के मध्य में 10 लाख टन से ऊपर पहुंच गए, जो सात वर्षों में सबसे ऊंचा स्तर है. बाजार विश्लेषकों के अनुसार, चीनी प्रोसेसर आने वाले महीनों में भी उच्च स्तर पर पेराई जारी रखेंगे, जबकि मांग की सामान्य स्थिति लौटने में अभी वक्त लगेगा.