`गांवों की धड़कन, किसानों का संकल्प, शस्त्र पूजन से खेत पूजन तक ` RSS के सौ साल... जानिए, खेती-किसान में संघ की भूमिका

`गांवों की धड़कन, किसानों का संकल्प, शस्त्र पूजन से खेत पूजन तक ` RSS के सौ साल... जानिए, खेती-किसान में संघ की भूमिका

संघ जब आज से अपने सौवीं वर्षगांठ के उत्सव की शुरुआत करेगा तब इस बार का दशहरा सिर्फ शस्त्र पूजन को ही समर्पित नहीं होगा बल्कि किसानों और गांवों के पुनर्जागरण के लिए भी संकल्पित होगा. संघ की यह शपथ भी लगातार दिखाई देगी कि भारत की आत्मा, उसके गांव, उसकी खेती और उसका किसान सब मज़बूत नींव की तरह इस राष्ट्र के विकास में आगे रहें.

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नयन त‍िवारी
  • Noida,
  • Oct 02, 2025,
  • Updated Oct 02, 2025, 7:31 AM IST

देश की मिट्टी की खुशबू, हल जोतते किसानों के माथे का पसीना और खेतों में गूंजती बैलों की घंटियां... भारत की आत्मा हमेशा से गांवों और खेती-किसानी में बसती आई है. लेकिन बदलते वक्त में जब तकनीक और बाज़ार की आंधी गांव की चौपालों तक पहुंच चुकी है, तब यह सवाल और भी मौजूं हो गया है कि क्या हमारी जड़ें मज़बूत रह पाएंगी? क्या हमारी कृषि व्यवस्था सिर्फ उत्पादन तक सीमित रहेगी या किसानों का जीवन स्तर भी ऊंचा उठ पाएगा?

ऐसे ही सवालों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने शताब्दी वर्ष की तैयारी में जुटा है. दशहरा यानी वह पर्व जिसे संघ अपनी परंपरा, अनुशासन और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक मानता है. इसी दिन से इस संगठन की शुरुआत की हुई थी. यह दिन केवल शस्त्र पूजा या पथ संचलन का अवसर नहीं होगा, बल्कि खेती-किसानी, स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ी पहल का मंच भी बनेगी. इसी दिन से संघ के खेती-किसानी के प्रति लिए गए संकल्प और उससे संबंधित योजनाएं भी दिखाई देंगी.

संघ का विचार है कि गांवों के बिना भारत का विकास अधूरा है. पक्की सड़कें, बिजली और गांव-गांव लगे मोबाइल टावर विकास की गवाही ज़रूर देते हैं, लेकिन असली बदलाव तभी होगा जब किसान आर्थिक रूप से मज़बूत और आत्मनिर्भर होंगे. यही वजह है कि संघ और उससे जुड़े संगठन खेती में स्वावलंबन को केंद्र में रखकर काम कर रहे हैं. इन सबके साथ ही खेती-किसानी और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर भी संघ और संघ से जुड़े अन्य संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. RSS, स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ, वन कल्याणी आश्रम जैसे संगठनों का उद्देश्य खेती को बेहतर बनाना, किसान कल्याण और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना है.

स्वदेशी जागरण मंच किसानों को विदेशी बीजों और आयातित उत्पादों पर निर्भर रहने के बजाय देशी बीजों और उत्पादों की ओर ले जा रहा है. वहीं, भारतीय किसान संघ लगातार खेती-किसानी की लागत घटाने और फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए संघर्ष करता आया है.

संघ का फोकस खेती की उस पुरानी जड़ों को पुनर्जीवित करने पर भी है, जिसमें गौ आधारित खेती और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण शामिल है. रसायनों के बढ़ते दुष्प्रभाव के बीच गोबर और गोमूत्र से बनी खाद और कीटनाशक फिर से चर्चा में हैं. तालाबों का जीर्णोद्धार, जल संरक्षण और स्थानीय उत्पादों का प्रोत्साहन इसी दिशा की कड़ी हैं.

संघ के इस शताब्दी वर्ष के मौके पर जयपुर में बनने वाला गौ प्रॉडक्ट रिसर्च सेंटर एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट इस विज़न का एक ठोस उदाहरण है। इसे ‘AIIMS’ जैसी सुविधाओं से लैस बनाने की योजना है. इस सेंटर में न सिर्फ रिसर्च होगी बल्कि कृषि और स्वास्थ्य दोनों के लिए नए रास्ते तलाशे जाएंगे. 

संघ जब आज से अपने सौवीं वर्षगांठ के उत्सव की शुरुआत करेगा तब इस बार का दशहरा सिर्फ शस्त्र पूजन को ही समर्पित नहीं होगा बल्कि किसानों और गांवों के पुनर्जागरण के लिए भी संकल्पित होगा. संघ की यह शपथ भी लगातार दिखाई देगी कि भारत की आत्मा, उसके गांव, उसकी खेती और उसका किसान सब मज़बूत नींव की तरह इस राष्ट्र के विकास में आगे रहें.

ग्राम विकास और स्वावलंबन पर जोर 

RSS का मानना रहा है कि देश का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक गांवों का विकास नहीं होगा. गांवों का विकास केवल सड़क, बिजली और पानी ही नहीं है बल्कि खेतों में काम करने वाले किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना विकास की असली दिशा होगी. संघ लगातार किसानों के आर्थिक विकास की वकालत करता रहा है. इसके लिए संघ लोगों से स्वदेशी अपनाने की अपील करता है. उनका मानना है कि इम्पोर्टेड आयटम्स को खरीदने की बजाय देश में बनी चीजों का उपयोग करने पर ना सिर्फ देश के उत्पादकों को मजबूती मिलेगी बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी.

गौ-आधारित खेती और जल संरक्षण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खेती के क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए रसायनों के उपयोग को खत्म करने के लिए किसानों को जागरूक करता रहा है. संघ की ओर से गौ आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. इसमें रसायनों के दुष्प्रभाव भी बताए जाते हैं और लोगों को गोबर और गोमूत्र से बने खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से कई सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं. इसके अलावा संघ जल संरक्षण कार्यक्रमों को लेकर भी बहुत गंभीर है. आरएसएस की ओर से पुराने तालाबों का गहरीकरण और खराब हो चुके जलाशयों का जीर्णोधार भी कराया जाता है.

स्वदेशी जागरण मंच की भूमिका

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि स्वदेशी जागरण मंच क्या है और ये कैसे काम करता है. दरअसल स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा हुआ एक संगठन है. इसकी स्थापना 1991 में हुई थी. ये संगठन आर्थिक मामलों और स्वदेशी नीति को बढ़ावा देने का काम करता है. स्वदेशी जागरण मंच बीजों में आत्मनिर्भरता बनाने की दिशा में विशेष काम कर रहा है. इसके लिए जेनेटिकली मॉडिफाइड बीजों का लगातार विरोधी रहा है.

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आपको बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में खटास की वजह भी GM मक्का बना है जिसे भारत इमपोर्ट करने से इंकार कर रहा है. जेनेटिकली मॉडिफाइड बीज देश की खेती और किसानों को तगड़ा झटका दे सकते हैं. स्वदेशी जागरण मंच लगातार GM सीड्स का विरोध कर पर्यावरण रक्षा के लिए प्रेरित कर रहा है. 

भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ देश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रमुखता से आवाज उठाता रहा है. ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि ये भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा एक संगठन है. भारतीय किसान संघ (BKS) की ओर से लगातार खेती की लागत कम करने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए कई प्रयास और आंदोलन किए गए हैं. भारतीय किसान संघ किसानों से जुड़े कई अन्य मुद्दों को सुलझाने पर भी सरकार से वार्ता के जरिए दबाव बना चुका है. इसके अलावा बीकेएस खेती में मध्यस्थों की भूमिका कम करके सीधा किसानों तक संपर्क बढ़ाने पर जोर देने का प्रयास करता रहा है. 

रिसर्च सेंटर एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट

दशहरे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने विशेष तैयारी की है. आपको बता दें कि जयपुर में 15 एकड़ जमीन पर गौ प्रॉडक्ट रिसर्च सेंटर एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनाया जाएगा. कहा जाता है कि इस इंस्टीट्यूट में AIIMS की तरह सुविधाएं होंगी. यहां बीमारियों की जांच और कई तरह के शोध किए जाएंगे. इससे गौ संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी. 

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