पराली जलाने का नहीं, अब समाधान का समय: यमुनानगर DC ने की नई पहल, किसानों को दी सीख

पराली जलाने का नहीं, अब समाधान का समय: यमुनानगर DC ने की नई पहल, किसानों को दी सीख

यमुनानगर के DC पार्थ गुप्ता ने पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए खुद ट्रैक्टर चलाकर किसानों को जागरूक किया. उन्होंने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है और इसके बेहतर विकल्प मौजूद हैं.

किसानों को दी पराली प्रबंधन की सीखकिसानों को दी पराली प्रबंधन की सीख
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 01, 2025,
  • Updated Oct 01, 2025, 10:38 AM IST

यमुनानगर के डिप्टी कमिश्नर (DC) पार्थ गुप्ता ने एक अनोखी पहल करते हुए मंगलवार को मुकरबपुर गांव के खेतों में खुद ट्रैक्टर चलाया. उन्होंने किसान जगजीत सिंह के खेत में राउंड बैलर मशीन की मदद से धान की पराली को इकट्ठा किया और यह दिखाया कि पराली जलाए बिना भी उसका सही प्रबंधन किया जा सकता है. यह संदेश किसानों को पर्यावरण की सुरक्षा और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए दिया गया.

क्या हैं पराली जलाने के नुकसान?

द ट्रिब्यून के मुताबिक मुकरबपुर और अमली गांव के दौरे के दौरान DC गुप्ता ने किसानों से मुलाकात की और पराली जलाने से होने वाले नुकसान समझाए. उन्होंने बताया कि इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि खेत की मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब होती है.

मशीनों से होगा 35,000 टन पराली का प्रबंधन

अमली गांव के रामदीप वालिया, जो पराली प्रबंधन के उपकरण बनाते हैं, ने DC को बताया कि इस साल वे लगभग 35,000 टन धान की पराली को स्क्वायर और राउंड बैलर से प्रोसेस कर कंपनियों को भेजेंगे. DC ने उनकी मशीनों और भंडारण व्यवस्था का निरीक्षण भी किया.

सरकार दे रही है सब्सिडी पर मशीनें

DC पार्थ गुप्ता ने बताया कि हरियाणा सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध करा रही है. इससे किसान पराली को खेत में ही मिलाकर या इकट्ठा करके उसका सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं.

बनाई गई है ‘स्टबल प्रोटेक्शन फोर्स’

सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए 'स्टबल प्रोटेक्शन फोर्स' और विभागीय टीमें गठित की हैं, जो निगरानी का काम करेंगी. DC ने चेतावनी दी कि जो किसान पराली जलाते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

उप निदेशक कृषि का बयान

कृषि उप निदेशक आदित्य प्रताप दबास ने बताया कि अधिकतर किसान अब पराली को खेत में ही मिला देते हैं, और बाकी को बैलर मशीनों से इकट्ठा करके संबंधित कंपनियों तक पहुंचाया जाता है. उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को सब्सिडी पर मशीनें देकर टिकाऊ पराली प्रबंधन को बढ़ावा दे रहा है.

DC पार्थ गुप्ता की यह पहल एक प्रेरणादायक कदम है, जिससे अन्य जिलों के अधिकारी और किसान भी सीख ले सकते हैं. पराली जलाने की बजाय उसका सही प्रबंधन न केवल पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि मिट्टी को भी उपजाऊ बनाए रखता है.

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