हरियाणा में धान की खरीद को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है. सरकार ने जहां 1 अक्टूबर से पहले धान खरीद शुरू करने की घोषणा की थी, वहीं मंडियों में अब तक खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. करनाल अनाज मंडी में किसानों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी नाराज़गी जाहिर की और मंडी समिति के गेट बंद कर दिए.
किसानों का कहना है कि वे धान लेकर मंडी तक पहुंच चुके हैं, लेकिन न तो खरीद एजेंसियां आई हैं और न ही व्यापारी. इस वजह से किसान परेशान हैं, क्योंकि अगर सरकारी खरीद नहीं हुई तो उन्हें धान औने-पौने दामों में बेचना पड़ेगा. इससे उनकी मेहनत और लागत दोनों पर असर पड़ेगा.
आज करनाल मंडी में किसान नेताओं ने मंडी समिति के बाहर धरना दिया और दोनों गेट बंद कर दिए. उन्होंने अपने साथ लाए धान के बोरों से गेट को रोक दिया. किसानों की मांग है कि मंडी में धान की खरीद तुरंत शुरू की जाए ताकि उनकी फसल खराब न हो और उन्हें आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े.
किसान नेताओं की एक और अहम मांग है कि मंडी में डिजिटल वजन मशीनें लगाई जाएं ताकि धान का सही वजन हो सके और किसानों को पूरा हक मिले. उनका आरोप है कि बिना डिजिटल तराजू के वजन में गड़बड़ी होती है, जिससे किसानों को नुकसान होता है.
किसानों ने साफ कहा है कि जब तक धान की खरीद शुरू नहीं होती और डिजिटल तराजू नहीं लगाए जाते, तब तक वे अपना विरोध जारी रखेंगे. मंडी समिति के गेट बंद करना इसी आंदोलन का हिस्सा है.
अब सवाल यह है कि जब सरकार ने खुद 1 अक्टूबर से पहले धान खरीद की बात कही थी, तो फिर ज़मीनी स्तर पर तैयारी क्यों नहीं हुई? मंडियों में देरी क्यों हो रही है? क्या प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाए?
हरियाणा के किसानों की मांगें स्पष्ट और जायज़ हैं- उन्हें उनकी फसल का सही दाम और सही वजन मिलना चाहिए. अगर सरकार समय रहते कार्रवाई नहीं करती, तो यह आंदोलन और तेज़ हो सकता है. अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और किसानों की समस्याओं का समाधान करता है.
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