देशभर में कपास किसानों में एक ओर जहां गिरती कीमतों को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. इसका सीधा असर कपास की बुवाई क्षेत्र पर भी देखने को मिल रहा है. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की प्रमुख खरीफ फसल कपास का पिछले दो सालों से लगातार गिर रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 से लेकर 2023-24 तक खरीफ सीजन में हर साल 129.5 लाख हेक्टेयर रकबे में कपास की बुवाई हुई, जो 2024-25 में घटकर 112.95 लाख हेक्टेयर रह गया.
वहीं, इस साल खरीफ सीजन में अनुमानित बुवाई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, रकबा 2.97 लाख हेक्टेयर (लगभग 3 लाख हेक्टेयर) घटकर 109.98 लाख हेक्टेयर रह गया है. अगर सरकारी नीतियां ऐसी ही रहीं तो आने वाले सालों में बुवाई और उत्पादन में बहुत भारी गिरावट देखने को मिल सकती है.
दरअसल, केंद्र सरकार ने वर्तमान में कपास के आयात पर लगने वाली 11 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी को हटा दिया है, जिसके चलते विदेशी कपास का आयात सस्ता हो गया है और आयातक/व्यापारी विदेशी कपास की खरीद में रुचि दिखा रहे हैं. वहीं, जो व्यापारी या मिल घरेलू कपास खरीद रहे हैं, उसपर किसानों को एमएसपी मिलना तो दूर, इससे काफी कम कीमत पर उपज बेचनी पड़ रही है.
केंद्र का यह रवैया कपास किसानों पर भारी पड़ रहा है और वे इसकी खेती से धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं. किसान कपास की बजाय ऐसी फसलों को चुन रहे हैं, जिसपर उन्हें उचित मुनाफा मिल सके. कपास की कीमतें एक मात्र फैक्टर नहीं है, जिससे किसानों का इसकी खेती से मोह भंग हो रहा है. पिछले कुछ सालों में गुलाबी सुंडी (पिंकबॉल वर्म), सफेद मक्खी, मौसमी परिस्थितियों ने भी किसानों को चिंता में डाला है. इन वजहों से किसान दूसरी फसल उगाने में रुचि ले रहे हैं.
हाल ही में मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई थी कि पंजाब में बीते कुछ हफ्तों में मंडियों में बिकी लगभग 80 प्रतिशत कपास एमएसपी से 1000 रुपये या इससे और ज्यादा नीचे दाम पर बिकी, जिससे किसानों को भारी घाटा हुआ. वहीं, कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) की ओर से सरकारी खरीद शुरू न होने से भी पंजाब में कीमतों में यह गिरावट देखी गई, क्योंकि पूरा मार्केट निजी व्यापारियों के हाथ में चल रहा है.
बता दें कि भारत में गुजरात, महाराष्ट्र (खासकर विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र) और तेलंगाना कपास के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. इनके अलावा आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी कपास का उत्पादन होता है. वहीं, मध्य प्रदेश ऑर्गेनिक कॉटन के उत्पादन में विशेष स्थान रखता है. यहां देश का कुल 40 प्रतिशत ऑर्गेनिक कॉटन उगता है.