Rice Buffer Stock: भारत सरकार के पास इस समय केंद्रीय पूल में चावल का स्टॉक जरूरत से चार गुना ज्यादा है. भले ही सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में ओपन मार्केट सेल, राज्यों को आवंटन, एथेनॉल उत्पादन और भारत चावल योजना जैसी पहलों के जरिए बड़ी मात्रा में चावल बाजार में उतारा हो, फिर भी 59 मिलियन टन से अधिक चावल अब भी स्टॉक में है. यह स्टॉक जुलाई 1 के निर्धारित बफर स्टॉक 13.54 मिलियन टन का चार गुना है.
अधिकारियों के अनुसार, इस समय एफसीआई (Food Corporation of India) के पास जो चावल है, उसमें से लगभग 21 मिलियन टन चावल मिलर्स से अभी प्राप्त होना बाकी है. यह अतिरिक्त स्टॉक उच्च खरीद (procurement) और अच्छी फसल उत्पादन का नतीजा है.
सरकार हर साल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत करीब 36 मिलियन टन चावल बांटती है, जबकि खरीद 50 मिलियन टन से अधिक होती है. यही कारण है कि चावल का स्टॉक लगातार बढ़ता जा रहा है.
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कुछ महीने पहले तक सरकार को यह चिंता थी कि कहीं अतिरिक्त स्टॉक के कारण भंडारण की समस्या न खड़ी हो जाए. लेकिन खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने हाल ही में कहा कि अब ऐसी कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, “जून से हम PDS के लिए अनाज का आवंटन करते रहेंगे, और नई फसल की आवक अक्टूबर के बाद शुरू होगी.”
धान खरीद का सीजन हर साल 1 अक्टूबर से शुरू होता है. एफसीआई और राज्य सरकार की एजेंसियाँ किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीदती हैं. इसके बाद इस धान को मिलर्स को दिया जाता है ताकि उसे चावल में बदला जा सके. नई फसल का चावल दिसंबर से गोदामों में पहुंचने लगता है.
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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत देश के 81 करोड़ लोगों को हर महीने 5 किलो मुफ्त राशन दिया जा रहा है. इस योजना को अब 2028 तक बढ़ा दिया गया है, जिससे सरकार पर ₹11.8 लाख करोड़ का खर्च आने का अनुमान है.
सरकार के लिए चावल का आर्थिक मूल्य (जिसमें MSP, भंडारण, परिवहन आदि शामिल है) वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में ₹41.73 प्रति किलो था. अगर स्टॉक कम नहीं हुआ, तो इसके कैरी करने का खर्च (carrying cost) बढ़ता जाएगा और इससे सरकार की सब्सिडी पर बोझ भी बढ़ सकता है.