हमारे देश में फल और सब्जियों के कई प्रकार देखे जाते हैं. बढ़ते शहरीकरण ने ऐसे कई फल औऱ सब्जियों को हमारे लिए अजनबी बना दिया जो पहले खूब खाए जाते थे. यही वजह है कि अब हमें कई पौष्टिक और बेहद फायदेमंद फल और सब्जियों के बारे में पता ही नहीं होता है. ऐसा ही एक फल है लसोड़ा. शायद ही आपने इसके बारे में सुना हो. अब कुछ दिन से यह फल कुछेक सब्जियों की दुकानों पर दिखने लगा है. यही इसका सीजन है मगर ज्यादातर लोग इसके बारे में जानते नहीं हैं और अब यह एक दुर्लभ फल बन गया है. इस फल को गोंडी और निसोरी के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम कोर्डिया मायक्सा है.
यह फल भले ही आकार में छोटा हो लेकिन यह कई औषधीय गुणों से भरपूर है. आयुर्वेद में इस फल का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. लोग लसोड़े का अचार और चूर्ण बनाकर भी रखते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इस फल की खासियत
लसोड़ा फल एक छोटा और गोल आकार का फल होता है. यह जैतून या चेरी के समान ही है. इसमें आमतौर पर एक चिकना, पतला और खाने योग्य छिलका होता है, जो पकने पर हल्के हरे से पीले-भूरे या लाल-भूरे रंग में बदल जाता है. फल में एक मीठा और तीखा स्वाद होता है. फल पकने के साथ ही स्वाद और तेज हो जाता है.
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लसोड़ा फल कैलोरी में कम होता है और इसमें अच्छी मात्रा में आहार फाइबर होता है. यह विटामिन सी, विटामिन ए, पोटेशियम, कैल्शियम और आयरन सहित विटामिन और खनिजों से भी भरपूर है. लसोड़ा को कच्चा खाने के साथ ही इससे जैम, जेली और जूस भी बनाया जाता है. कुछ लोग इसे सुखाकर इसका पाउडर बनाकर भी इसका इस्तेमाल करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इसमें ऐसे गुण होते हैं जो पाचन में सहायता करते हैं. साथ ही फल का उपयोग खांसी, जुकाम और सांस की बीमारियों के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में भी किया जाता है.
लसोड़ा फल अपने अनोखे स्वाद और औषधीय गुणों के लिए अत्यधिक मूल्यवान है. यह दक्षिण एशियाई व्यंजनों में एक लोकप्रिय फल है और इसके स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के लिए कई लोग इसका आनंद लेते हैं.
यह फल आमतौर पर नम और सूखी जगहों पर पाया जाता है. यह गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में पाया जाता है. लसोड़े का फल ही नहीं इसकी लकड़ी भी बहुत उपयोगी होती है. लसोड़ा की लकड़ी मजबूत और चिकनी होने के कारण इसका उपयोग फर्नीचर बनाने में किया जाता है. कई किसान इस पेड़ को अपने खेतों के पार या किनारे पर भी लगाते हैं.