भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 96वीं वार्षिक आम बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की. बैठक में 18 से अधिक राज्यों के कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्री शामिल हुए. बैठक का मुख्य उद्देश्य था- कृषि क्षेत्र में अनुसंधान, विज्ञान और तकनीक के बेहतर उपयोग से खेती को सशक्त बनाना.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि केवल केंद्र का नहीं, राज्यों का भी विषय है, इसलिए जब तक दोनों मिलकर काम नहीं करेंगे, तब तक कृषि क्षेत्र का समग्र विकास नहीं हो सकता. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि की बात कही. उन्होंने बताया कि पहले भारत को गेहूं आयात करना पड़ता था, लेकिन आज हम खुद आत्मनिर्भर हैं और अनाज का निर्यात कर रहे हैं.
चौहान ने कहा कि खेती केवल परंपरा नहीं, विज्ञान है. किसानों को वैज्ञानिक शोध का लाभ मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन जैसी फसलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इसी सिलसिले में फसलवार बैठकों की शुरुआत की गई है. मध्यप्रदेश के इंदौर में सोयाबीन, और 11 जुलाई को कोयंबटूर में कपास पर विशेष बैठक होगी.
चौहान ने कहा कि किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जा रहा है. हाल ही में सोयाबीन फसल के अंकुरण में खराब बीज की शिकायत मिली, जिस पर तुरंत जांच के आदेश दिए गए. उन्होंने अमानक बीज, उर्वरक और खाद पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया. साथ ही, उर्वरकों की न्यायसंगत कीमत तय करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है.
रबी सीजन से पहले ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत फिर से राज्यों के साथ मिलकर किसानों तक विज्ञान पहुंचाने की योजना है. इस बार दो दिवसीय रबी सम्मेलन होगा, जिसमें पहले दिन कार्य योजना बनेगी और दूसरे दिन राज्यों के मंत्री उसे मंजूरी देंगे. चौहान ने कहा कि भारत की मिट्टी बहुत उपजाऊ है, और हमें इसे सुरक्षित रखते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी है.
बैठक के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ कृषि और ग्रामीण विकास को लेकर विशेष चर्चा हुई. चौहान ने राज्य की समस्याओं को समझते हुए घेरबाड़, पारंपरिक फसलों जैसे मडुआ और झिंगोरा, तथा सेब, कीवी और ड्रैगन फ्रूट जैसी नकदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की. साथ ही, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सुपरफूड्स की स्थापना को भी मंजूरी दी गई.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खेती देश सेवा का माध्यम है. हमें न केवल 144 करोड़ लोगों को खाद्यान्न देना है, बल्कि दुनिया को भी अन्न उपलब्ध कराना है. उन्होंने वैज्ञानिकों को "आधुनिक महर्षि" बताते हुए कहा कि वे शोध को प्रभावी और किसानों के अनुकूल बनाएं.
आईसीएआर की यह बैठक कृषि क्षेत्र को नई सोच, नई योजनाओं और बेहतर तकनीक से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा. शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान जरूरी हैं. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कृषि को भविष्य की जरूरतों के अनुसार मजबूत करेंगी.