Maize Production: पोल्ट्री फीड और इथेनॉल ने बढ़ाया मक्के का महत्व, कैसे बढ़ेगा उत्पादन...व‍िशेषज्ञों ने द‍िया 'मंत्र' 

Maize Production: पोल्ट्री फीड और इथेनॉल ने बढ़ाया मक्के का महत्व, कैसे बढ़ेगा उत्पादन...व‍िशेषज्ञों ने द‍िया 'मंत्र' 

मक्का की मांग न स‍िर्फ इंसानों के आहार के तौर पर बढ़ रही है बल्क‍ि पोल्ट्री इंडस्ट्री में फीड और इथेनॉल प्रोडक्शन को लेकर भी मारामारी है. मक्का आधारित इथेनॉल के अधिक उत्पादन के कारण ही भारत लगभग दो दशक में पहली बार इसका आयातक बन गया है. ऐसे में अब मक्का उत्पादन बढ़ाने के ल‍िए व‍िशेषज्ञ क‍िसानों से इसके हाइब्रिड किस्म के बीजों का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं.

इथेनॉल ने बढ़ा दी मक्के की वैल्यू (Photo-ICAR). इथेनॉल ने बढ़ा दी मक्के की वैल्यू (Photo-ICAR).
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jan 09, 2025,
  • Updated Jan 09, 2025, 3:50 PM IST

इथेनॉल की वजह से मक्का की मांग लगातार बढ़ रही है, इसल‍िए सरकार इसका उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने लगी है. इसमें सरकार और क‍िसानों दोनों का फायदा है. लेक‍िन उत्पादन क्या स‍िर्फ इसकी खेती का एर‍िया बढ़ाने से बढ़ेगा या फ‍िर उसके ल‍िए कुछ और भी करना पड़ेगा. नई द‍िल्ली स्थ‍ित नास कांप्लेक्स में ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) की ओर से आयोज‍ित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने इसका एक रास्ता सुझाया है. उन्होंने कहा क‍ि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में हाइब्रिड तकनीक काफी मददगार साब‍ित हो सकती है. मक्का व कपास जैसी फसलों में हाइब्रिड तकनीक की मदद से पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है. कुछ इसी तरह की बात भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) के न‍िदेशक डॉ. हनुमान सहाय जाट भी कर रहे हैं.

जाट की बात से पहले हमें यह समझना पड़ेगा क‍ि मक्के की वैल्यू क‍ितनी बढ़ गई है. सरकारी आंकड़ों के मुताब‍िक पिछले एक वर्ष में इथेनॉल बनाने के लिए लगभग 60 लाख टन मक्का का उपयोग किया गया है. तेल मार्केट‍िंग कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 के लिए लगभग 837 करोड़ लीटर एथेनॉल आवंटित किया, ज‍िसमें मक्का की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 51.52 प्रतिशत (लगभग 431.1 करोड़ लीटर) रही. मक्का की मांग न स‍िर्फ इंसानों के आहार के तौर पर बढ़ रही है बल्क‍ि पोल्ट्री इंडस्ट्री में फीड और इथेनॉल प्रोडक्शन को लेकर भी मारामारी है. मक्का आधारित इथेनॉल के अधिक उत्पादन के कारण ही भारत लगभग दो दशक में पहली बार इसका आयातक बन गया है, वरना भारत बड़ा न‍िर्यातक हुआ करता था. 

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मक्के पर क्यों है जोर? 

इथेनॉल गन्ना और चावल से भी बनता है लेक‍िन इन दोनों फसलों में मक्के की खेती के मुकाबले पानी ज्यादा खर्च होता है. ऐसे में मक्के से ज्यादा इथेनॉल बन रहा है और सरकार इसके ल‍िए मक्का का उत्पादन बढ़ाना चाहती है. प‍िछले साल महाराष्ट्र में सूखे के बाद सरकार ने इथेनॉल के लिए गन्ने के उपयोग पर अचानक रोक लगा दी थी, ज‍िससे मक्के का महत्व और बढ़ गया था. बहरहाल, उत्पादन बढ़ाने की कड़ी में ही 'इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू क‍िया गया है, ज‍िसकी ज‍िम्मेदारी आईसीएआर के अधीन आने वाले भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान को दी गई है.

इथेनॉल के ल‍िए मक्का उत्पादन बढ़ाने के इस प्रोजेक्ट में किसानों, एफपीओ, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम क‍िया जा रहा है. इसके तहत क‍िसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली क‍िस्मों के बीजों का व‍ितरण क‍िया जा रहा है. प्रोजेक्ट का एक मकसद वर्तमान दौर में क‍िसानों को मक्के की खेती के फायदे बताना भी है. 

मक्का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य 

ऐसे में अब सरकार अगले पांच वर्ष में 10 मिलियन टन तक मक्का का उत्पादन और बढ़ाना चाहती है. साल 2023-24 में मक्का उत्पादन 32.47 मिलियन टन हुआ है. बायोफ्यूल पॉल‍िसी के मुताब‍िक आने वाले समय में गन्ने से इथेनॉल का उत्पादन कम करने तथा मक्का जैसे अनाज से उत्पादन करने पर जोर दिया जाएगा. बहरहाल, अब मक्का उत्पादन बढ़ाना बड़ी चुनौती बना हुआ है. इस चुनौती से न‍िपटने के ल‍िए कृष‍ि वैज्ञान‍िक हाइब्रिड तकनीक के इस्तेमाल की वकालत कर रहे हैं. 

कैसे बढ़ेगा मक्का उत्पादन? 

डॉ. हनुमान सहाय जाट का कहना है क‍ि मक्के का उत्पादन बढ़ाना है तो न स‍िर्फ मक्के की खेती का एर‍िया बढ़ाना होगा बल्क‍ि अच्छी क‍िस्मों के बीजों की भी बहुत जरूरत होगी. इसके ल‍िए हाइब्रिड किस्मों पर जोर द‍िया जा रहा है. हाइब्रिड तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करके हम मक्का उत्पादन बढ़ा सकते हैं. केंद्र सरकार ने भी इसकी खेती के लिए बड़ा प्लान बनाया है. सरकार चाहती है कि खेती-किसानी में काम करने वाले निजी क्षेत्र की कंपनियां उत्तरी क्षेत्र में मक्का के हाईब्रिड बीज उगाने की संभावनाओं को तलाशें. मक्का उत्पादन में बढ़ोतरी तभी होगी जब हाइब्रिड किस्म के बीज उपलब्ध होंगे. 

इथेनॉल का क‍ितना है दाम 

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 तक मक्का से बनने वाले इथेनॉल का दाम 71.86 रुपये प्रति लीटर था. इसी तरह गन्ने के रस या सिरप से बने इथेनॉल की कीमत 65.61 रुपये प्रति लीटर, टूटे चावल से बने इथेनॉल की कीमत 64 रुपये प्रति लीटर और बी-हैवी गुड़ से बनने 60.73 रुपये लीटर और सी हैवी गुड़ से बने इथेनॉल के लिए कीमत 56.28 रुपये प्रति लीटर थी. इसे और बढ़ाने की तैयारी है. बहरहाल, सरकार ने वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का टारगेट सेट क‍िया है. इसे हास‍िल करने के लिए इथेनॉल उत्पादन बढ़ाया जाएगा, ज‍िससे मक्का क‍िसानों को अच्छा दाम म‍िलने का अनुमान है.  

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