हम रोजाना नाश्ते और रात के खाने में गेहूं के आटे की रोटी या परांठा खाकर बोर हो जाते हैं. जिसके कारण हम भोजन का आनंद लेना बंद कर देते हैं और भोजन से दूर भागने लगते हैं. इतना ही नहीं, अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको गेहूं के आटे से बनी रोटी खाने से बचना चाहिए. ऐसे में आज हम उन विकल्पों के बारे में बात करेंगे. यानी आप गेहूं की रोटी की जगह क्या खा सकते हैं जो न सिर्फ आपके स्वाद के लिए अच्छा है बल्कि आपकी सेहत भी बेहतर बनाता है. क्या है वो रेसिपी आइए जानते हैं. इस रेसिपी का नाम है अक्की की रोटी. हालांकि यह रोटी चावल के आटे से बनाई जाती है. लेकिन आज हम इसे न तो चावल के आटे से बनाएंगे और न ही गेहूं के आटे से.
आज हम सांवा के आटे से इस रोटी को बनाने की विधि के बारे में जानेंगे. इस रोटी की रेसिपी जानने से पहले आइये जानते हैं क्या है सांवा का आटा और इसके फायदे.
सांवा को बार्नयार्ड मिलेट के नाम से भी जाना जाता है. इसकी गिनती पॉजिटिव मिलेट में की जाती है. यह खाद्य फसल के साथ-साथ पशुओं के चारे में भी इस्तेमाल किया जाता है. सांवा की खेती गर्म और टेम्परेट जलवायु में की जाती है. यह भारत के उत्तरांचल में ज्यादा उगाया जाता है लेकिन चीन, जापान और कोरिया में भी इसकी खेती की जाती है. यह फसल तेजी से तैयार होती है और करीब 45-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसे विभिन्न परिस्थितियों में आसानी से उगाया जा सकता है और बिना कीटनाशक के भी इसकी खेती की जा सकती है.
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सांवा का आटा बनाने के लिए सांवा को पीसकर पाउडर बना लिया जाता है. इसे सांवा का पीठ भी कहा जाता है. सांवा का आटा ग्लूटेन मुक्त होता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है जो ग्लूटेन से पीड़ित हैं. इसके अलावा सांवा का आटा पोषण से भरपूर होता है और विभिन्न विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है.
सांवा में जरूरी मात्रा में प्रोटीन, उच्च फाइबर, बी-विटामिन और उपयोगी खनिज पाए जाते हैं. अच्छी सेहत के लिए इसे बिना सोचे आसानी से आहार में शामिल किया जा सकता है. सांवा प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. प्रोटीन शरीर की वृद्धि, विकास, और एंटीबॉडी के रूप में शरीर की इम्युनिटी को बढ़ावा देता है.