
महाराष्ट्र के कई जिलों और उनसे जुड़े गांवों में तेंदुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है. अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस दिशा में एक बड़ा फैसला किया है. उन्होंने मंगलवार को अधिकारियों को आदेश दिया कि वो इंसानों पर तेंदुए के हमलों को 'राज्य आपदा' घोषित करें. साथ ही केंद्र से वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट अधिनियम, 1972 की अनुसूची I से अनुसूची II में तेंदुओं को शिफ्ट करने का अनुरोध करें. इससे अधिकारियों को आदमखोर जानवरों से निपटने में अधिक लचीलापन मिलेगा.
राज्य सरकार की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार फडणवीस ने पुणे और अहिल्यानगर जैसे जिलों में तेंदुओं के हमलों की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए मंत्रालय में राज्य के अधिकारियों के साथ आयोजित एक मीटिंग के दौरान ये निर्देश जारी किए. तेंदुए वर्तमान में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की अनुसूची I के तहत हैं संरक्षित हैं. ऐसे में उन्हें पकड़ने या मारने पर सख्त प्रतिबंध लगा हुआ है.
फडणवीस ने वन विभाग से केंद्र को एक प्रस्ताव पेश करने को कहा है जिसमें उन्हें एक्ट की अनुसूची II के तहत फिर से री-क्लासीफाइड करने की मांग की गई है जो मानव जीवन के खतरे को छोड़कर शिकार पर प्रतिबंध लगाती है. यह मानते हुए कि राज्य में विशेष तौर पर गन्ने के खेतों के पास रहने या काम करने वाले लोगों के बीच, तेंदुओं के हमले बढ़े हैं, फडणवीस ने इस समस्या से निपटने के लिए तुरंत और लंबे समय तक कारगर रहने वाले दोनों तरह के उपाय करने की अपील की है.
सीएम फडणवीस ने कहा कि तत्काल उपायों में गांवों और शहरों के पास तेंदुओं का पता लगाना और उन्हें पकड़ना शामिल है. इसके लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है. जिला योजना समितियों को तेंदुओं को पकड़ने के लिए आवश्यक पिंजरों, वाहनों और मानव संसाधन के लिए रकम मुहैया कराने को कहा गया है. लंबे समय तक चलने वाले उपायों में नसबंदी और मौजूदा बचाव केंद्रों की क्षमता बढ़ाना शामिल है. फडणवीस ने कहा कि चूंकि केंद्र सरकार पहले ही तेंदुओं की नसबंदी की अनुमति दे चुकी है, इसलिए आदमखोर तेंदुओं का पता लगाकर उनकी नसबंदी की जानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने पुणे जिले में उपचार और पुनर्वास के लिए दो नए तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर बनाने के भी निर्देश दिए.
पुणे के कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने शिरुर, अम्बेगांव और नारायणगांव में संभावित स्थलों की पहचान की है. जिले में जुन्नार में पहले से ही ऐसा एक केंद्र मौजूद है. हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार महाराष्ट्र के जंगलों में 3,800 तेंदुए हैं, लेकिन गन्ने के खेतों में रहने वाले तेंदुए की संख्या का कोई अंदाजा नहीं है. पुणे जिला अधिकारियों का अनुमान है कि गन्ने के खेतों में करीब 2,000 तेंदुए रहते हैं. राज्य ने गुजरात के जामनगर स्थित एक निजी पशु बचाव केंद्र, वंतारा को, वर्तमान में जुन्नार केंद्र में रखे गए 50 तेंदुओं को अपने यहां रखने के लिए कहा है.
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