
दिल्ली–NCR के साथ हरियाणा के कई शहर इन दिनों गंभीर वायु प्रदूषण (AQI डेंजर जोन) से जूझ रहे हैं. प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारणों में धान की कटाई के बाद किसानों द्वारा पराली जलाना भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट और NGT के सख्त आदेशों के बावजूद राज्य में पराली जलाने के मामलों पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है. इसे लेकर प्रशासन की ओर से सख्त कार्रवाई की जा रही है. इस कार्रवाई से किसान बिरादरी में नाराजगी है.
इसी कड़ी में रोहतक जिले में पराली जलाने पर 9 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. कृषि विभाग ने इन किसानों पर जुर्माना लगाने के साथ ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रेड एंट्री भी कर दी है. इसका मतलब है कि ये किसान अगली दो फसलें सरकारी खरीद (MSP) पर नहीं बेच पाएंगे.
जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग रोहतक के जिला कृषि अधिकारी सुरेंद्र मलिक ने बताया कि जिले में अब तक पराली जलाने के 37 केस सामने आए. इसमें 5 हरसेक गांव के मामले शामिल हैं, जिन पर FIR के साथ जुर्माना और रेड एंट्री की कार्रवाई की गई है. 4 हरसेक के बाहर के मामलों में भी राशि वसूली गई और FIR दर्ज की गई.
उन्होंने बताया कि पराली जलाने पर 5,000 रुपये प्रति एकड़ जुर्माना लगाया जाता है, जबकि दोबारा पकड़े जाने पर यह राशि दोगुनी–तिगुनी हो जाती है.
अधिकारी ने बताया कि जिले में 95% धान की कटाई और 99% गेहूं की जुताई पूरी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि विभाग का प्रयास है कि अगले साल पराली जलाने के मामलों को शून्य (Zero Cases) तक लाया जाए.
हरियाणा सरकार किसानों को पराली न जलाने पर प्रति एकड़ 1200 रुपये की अनुदान राशि देती है. इसके लिए किसानों को पोर्टल पर registration करना अनिवार्य है. इसके अलावा सरकार पराली प्रबंधन के लिए आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध करवा रही है.
रोहतक जिले में पराली प्रबंधन के लिए 995 सुपर सीडर, 2 सरकारी बेलर और 8 निजी बेलर काम पर लगाए गए हैं, जो खेतों में पराली जुटाने और मिट्टी में मिलाने के काम में उपयोग किए जा रहे हैं.
पराली जलाने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक जींद ने 10 पुलिस कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए जिला जींद पुलिस द्वारा कड़े कदम उठाए गए हैं.
जींद के पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह के स्पष्ट निर्देशों के बाद जीरो टॉलरेंस नीति के तहत 10 पुलिस कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है. प्रवक्ता ने कहा, पर्यावरण सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामले में पुलिस की जिम्मेदारी किसी भी स्तर पर ढील बर्दाश्त नहीं करती, इसी कारण सख्त कार्रवाई की गई है.