मध्य प्रदेश में एक के बाद एक होती बाघों की मौत ने सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है. पिछले दिनों यहां के नर्मदापुरम में तवा नदी के पास एक और बाघ अवैध शिकार का निशाना बन गया. यह एक नर बाघ था जिसकी लाश नदी के किनारे मिली. इसके साथ ही इस साल राज्य में बाघों की मौत का आंकड़ा 36 हो गया है और यह देश में सबसे ज्यादा है. वरिष्ठ वन्यजीव अधिकारियों ने इन मौतों पर चिंता जताई है और कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है.
अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा के हवाले से लिखा, 'एक बूढ़ा नर बाघ राजस्व भूमि में मिला जिसका एक पंजा गायब था. यह अवैध शिकार का पहला मामला है. हमने इसके पीछे के लोगों का पता लगाने के लिए एक टीम बनाई है.' नंदा ने बताया कि करीब 10 दिन पहले, सतपुड़ा में एक और बाघ मृत पाया गया था. उन्होंने इस मौत का कारण एक और बाघ के साथ क्षेत्रीय लड़ाई को बताया. नंदा ने कहा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि बाघ की मौत आपसी लड़ाई के कारण हुई.
19 अगस्त को संजय टाइगर रिजर्व में बिजली का झटका लगने से एक और बाघ की मौत हो गई थी. वन्यजीव अधिकारियों को संदेह है कि बाघ किसानों द्वारा अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए लगाए गए बिजली के तार में फंस गया था. बताया जा रहा है कि 20 अगस्त को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और वन बल के प्रमुख वी एन अंबाडे ने वन अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी है.
टाइगर रिजर्व के रीजनल डायरेक्टर्स और सीनियर फॉरेस्ट ऑफिसर्स को लिखी एक चिट्ठी में अंबाडे ने बताया है कि पिछले 20-25 दिनों में ही 5-6 बाघों और तेंदुओं की मौत हो चुकी है. बाघ और तेंदुओं की सुरक्षा को राज्य वन विभाग की 'सर्वोच्च प्राथमिकता' बताते हुए, पीसीसीएफ ने साफ किया कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और अधिक जवाबदेही की मांग की.
पेंच और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का खासतौर पर जिक्र करते हुए, अंबाडे ने बताया कि बफर जोन में बाघों की मौत की जानकारी विभाग तक देर से पहुंच रही है. कभी-कभी तो गांव के निवासियों से इसकी खबर मिल रही है. उन्होंने लिखा कि यह 'एम-स्ट्रिप्स, मानसून पेट्रोलिंग आदि के जरिये से निगरानी में होने वाली कमियों को बताता है. उन्होंने लिखा है कि ऐसे सर्विलांस सिस्टम होने के बाद बाघों की बार-बार मौत होना ठीक नहीं है. पेंच और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत के लिए क्षेत्रीय संघर्ष को जिम्मेदार ठहराया गया है.
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