चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारत से तेल खली (ऑइलमील्स) का कुल निर्यात लगभग स्थिर रहा है. हालांकि, सितंबर 2025 में निर्यात में 40 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2025-26 के दौरान कुल निर्यात 20.93 लाख टन रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 20.82 लाख टन था. यानी कुल मिलाकर वृद्धि मात्र 0.5 प्रतिशत रही. वहीं, सितंबर 2025 में 2.99 लाख टन तेल खल का निर्यात हुआ, जो सितंबर 2024 के 2.13 लाख टन की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है. इस दौरान सोयाबीन खली, रेपसीड (सरसों) खली, मूंगफली मील और अरंडी की खली के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई.
बिजनेसलाइन की रिपेार्ट के मुताबिक, SEA के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने बताया कि सोयाबीन खली के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है. अप्रैल-सितंबर 2025-26 में इसका निर्यात घटकर 8.39 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 9.08 लाख टन था. उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में भारतीय सोयाबीन मील की मांग कमजोर रही है, क्योंकि दक्षिण और उत्तर अमेरिकी उत्पादक देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है. इसके अलावा, फीड मार्केट में डीडीजीएस (ड्राइड डिस्टिलर्स ग्रेन्स) की आपूर्ति बढ़ने से घरेलू मांग पर भी दबाव आया है.
मेहता ने बताया कि पिछले दो वर्षों में मूंगफली उत्पादन बढ़ने से मूंगफली की खली की पेराई और निर्यात में उछाल आया है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत ने 15,967 टन मूंगफली की खली का निर्यात किया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह मात्र 5,090 टन था.
SEA के गुजरात में किए गए खरीफ मूंगफली सर्वे के अनुसार, राज्य में मूंगफली का रकबा 19.09 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.02 लाख हेक्टेयर हो गया है, यानी लगभग 3 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है और उत्पादन अनुमान 46.07 लाख टन लगाया गया है. हालांकि, पूरे देश में कुल बुवाई क्षेत्र 49.96 लाख हेक्टेयर से घटकर 48.36 लाख हेक्टेयर रह गया है.
अप्रैल-सितंबर 2025-26 के दौरान दक्षिण कोरिया ने भारत से 2.32 लाख टन तेल खली आयात की, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 3.59 लाख टन था. चीन के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो मात्र 17,806 टन से बढ़कर 4.95 लाख टन पहुंच गया. इसमें 4.88 लाख टन रेपसीड खली शामिल थी.
बांग्लादेश ने इस अवधि में 2.12 लाख टन तेल खली खरीदी (पिछले वर्ष 3.98 लाख टन), जबकि जर्मनी और फ्रांस ने क्रमशः 1.43 लाख टन और 56,959 टन सोयाबीन खली का आयात किया.
सरकार द्वारा 3 अक्टूबर से डी-ऑयल्ड राइसब्रान (तेल रहित चावल की भूसी) के निर्यात पर लगी पाबंदी हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए मेहता ने कहा कि इससे चावल मिलिंग और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन उद्योग को बड़ा लाभ मिलेगा. इस कदम से किसानों और प्रोसेसर्स को राइसब्रान ऑयल एक्सट्रैक्शन के उप-उत्पादों के बेहतर दाम मिल सकेंगे और राइसब्रान ऑयल उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा.