Kashi Anmol: कम रखरखाव के बाद भी ज्‍यादा उपज देती है मिर्च की यह किस्‍म, श्रीलंका से है खासा नाता 

Kashi Anmol: कम रखरखाव के बाद भी ज्‍यादा उपज देती है मिर्च की यह किस्‍म, श्रीलंका से है खासा नाता 

Kashi Anmol: आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी, उत्तर प्रदेश की तरफ से साल 2006 में विकसित, काशी अनमोल मिर्च को वैज्ञानिकों ने पौधों के चयन और सुधार की एक प्रक्रिया के जरिये से विकसित किया था. इस किस्‍म को श्रीलंका से लाई गई मिर्च से विकसित किया गया था. बाद में, इस किस्म को पंजाब, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों में जारी करने और खेती के लिए मंजूरी दी गई. 

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 16, 2025,
  • Updated Sep 16, 2025, 1:24 PM IST

भारत में मसालों की काफी अहमियत है और मिर्च की तो एक स्‍पेशल जगह है. देश के अलग-अलग हिस्‍सों में अलग-अलग तरह की वैरायटी उगाई जाती है. मिर्च एक अहम व्यावसायिक सब्जी फसलों में से एक है. यह एक ऐसी फसल है जिससे लोगों को रोजगार तो मिलता ही है साथ ही साथ डाइनिंग टेबल पर सजीं डिशेज का स्‍वाद भी दोगुना होता है. मिर्च भारतीय व्‍यंजनों का एक अहम हिस्‍सा है और किसी न किसी रूप में रोजाना इसका सेवन लगभग हर हिस्‍से में किया जाता है. दुनिया भर में यूं तो मिर्च की 400 से ज्‍यादा किस्में उगाई जाती हैं और भारत में करीब 50 किस्‍मों की खेती की जाती है. इन्‍हीं किस्‍मों में से एक है काशी अनमोल किस्‍म जो कि एक ज्‍यादा उच्च उपज देने वाली और किसान-अनुकूल किस्म मानी जाती है. 

2006 में हुई तैयार 

आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी, उत्तर प्रदेश की तरफ से साल 2006 में विकसित, काशी अनमोल मिर्च को वैज्ञानिकों ने पौधों के चयन और सुधार की एक प्रक्रिया के जरिये से विकसित किया था. इस किस्‍म को श्रीलंका से लाई गई मिर्च से विकसित किया गया था. वैज्ञानिकों ने शुरुआत तो श्रीलंका की मिर्च से की लेकिन फिर दो चरणों में सर्वोत्तम पौधों को बेहद सावधानी के साथ चुना और फिर इसे और बेहतर बनाया. बाद में, इस किस्म को पंजाब, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों में जारी करने और खेती के लिए मंजूरी दी गई. 

कैसे पहचानें पौधों को 

काशी अनमोल किस्‍म के पौधे बौने पौधे होते हैं और इनके तने की गांठों पर छोटे-छोटे रंगीन निशान या धब्बे होते हैं. मिर्च के फल हरे रंग के, देखने में आकर्षक और लटकन की तरह नीचे की ओर लटकते हैं. इस किस्‍म की के लिए न तो बहुत रेतीली और न ही बहुत चिकनी मिट्टी चाहिए होती है बल्कि भुरभुरी मिट्टी जिसकी उर्वरता और पीएच लेवल अच्‍छा हो, उसे सही माना गया है. समय पर सिंचाई करना जरूरी है और फूल आने और फल बनने के दौरान सिंचाई पर ध्‍यान देना जरूरी है. इस दौरान अगर पानी की कमी हुई तो उपज और फलों की गुणवत्ता कम हो सकती है. पानी बचाने और मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए अक्सर ड्रिप सिंचाई की सलाह दी जाती है. 

120 दिनों में तैयार होती फसल 

काशी अनमोल वह किस्‍म है जो स्पाइडर माइट्स, एफिड्स, थ्रिप्स आदि के लिए संवेदनशील मानी गई है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने हमेशा किसानों को पौधों की बराबर निगरानी की सलाह दी है. पहली तुड़ाई रोपाई के 55 दिन बाद शुरू होती है, जिससे केवल 120 दिनों की फसल अवधि में 200 क्विंटल/हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है. सही उचित पोषक तत्व प्रबंधन, समय पर सिंचाई और प्रभावी कीट नियंत्रण से, किसान काशी अनमोल मिर्च से उच्च उपज और बेहतर फल गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं. 

क्‍या हैं हेल्‍थ बेनफिट्स 

काशी अनमोल मिर्च में कैप्साइसिन पाया जाता है जिसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं खासकर एंटी-कैंसर और तुरंत दर्द निवारक के तौर पर इसे अच्‍छा माना गया है. यह ब्‍लड सर्कुलेशन को बेहतर करके ब्‍लड प्रशेर को मेनटेन रखती है और डाइजेशन को सुधारती है. इस लिए कुछ एक्‍सपर्ट्स इसे हार्ट डिजीज रोकने में कारगर तक बताते हैं. 

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