KCC Scheme: लोन से आगे, उत्पादन और खरीद योजना का आधार है किसान क्रेडिट कार्ड

KCC Scheme: लोन से आगे, उत्पादन और खरीद योजना का आधार है किसान क्रेडिट कार्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में, KCC को एक व्यापक वित्तीय पहचान में परिवर्तित किया जा रहा है, जिससे यह खरीद, उत्पादन योजना और वित्तीय समावेशन का एक मजबूत माध्यम बनेगा. KCC Scheme लोन से कहीं आगे बढ़कर, उत्पादन और खरीद योजना का आधार है.

Binod AnandBinod Anand
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 26, 2025,
  • Updated Feb 26, 2025, 6:38 PM IST
  • ​​​बिनोद आनंद

भारत के किसानों ने दशकों तक वित्तीय असुरक्षा, महाजनों की सूदखोरी, और सरकारी योजनाओं तक जटिल पहुंच जैसी समस्याओं का सामना किया है. जब 1998 में केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री के नेतृत्व में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना शुरू हुई, तब यह किसानों के लिए सस्ते और संस्थागत ऋण का एक क्रांतिकारी साधन बना. लेकिन आज के दौर में केवल ऋण सुविधा पर्याप्त नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में, KCC को एक व्यापक वित्तीय पहचान में परिवर्तित किया जा रहा है, जिससे यह खरीद, उत्पादन योजना और वित्तीय समावेशन का एक मजबूत माध्यम बनेगा.

मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में बार-बार उस किसान की व्यथा को दर्शाया था, जो साहूकारों और बिचौलियों के चक्रव्यूह में फंसकर कर्ज के बोझ तले दब जाता था. अगर प्रेमचंद का 'होरी' आज जीवित होता, तो शायद उसे ना तो सूदखोरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता और ना ही उसकी जमीन गिरवी रखनी पड़ती. आज का किसान, जिसे कभी अपनी ही फसल बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, अब डिजिटल क्रांति के माध्यम से सशक्त हो सकता है.

KCC: ऋण से आगे, उत्पादन और खरीद योजना का अभिन्न अंग

भारतीय कृषि में सबसे बड़ी समस्या अनियोजित उत्पादन और अस्थिर बाजार कीमतें हैं. किसान अपनी पूरी मेहनत से फसल उगाते हैं, लेकिन जब बेचने का समय आता है, तब या तो कीमतें गिर जाती हैं या सरकारी खरीद देर से होती है. इससे न केवल किसानों का नुकसान होता है बल्कि देश में खाद्यान्न की आपूर्ति भी प्रभावित होती है.

अब, ब्लॉकचेन तकनीक और किसान क्रेडिट कार्ड के एकीकरण से, फसल उत्पादन से लेकर अंतिम बिक्री तक की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और डिजिटल हो जाएगी. इससे सरकार को वास्तविक समय में उत्पादन के आंकड़े प्राप्त होंगे, जिससे खरीदारी की योजना पहले से बनाई जा सकेगी और किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा.

इसके अलावा, फसल की ट्रैसेबिलिटी (Traceability) सुनिश्चित होने से खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी और निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी. सरकार इन आंकड़ों का उपयोग कर फसल विविधीकरण, सिंचाई योजनाओं और सब्सिडी वितरण जैसी नीतियों को अधिक प्रभावी बना सकती है.

MSP भुगतान में पारदर्शिता और जवाबदेही

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली किसानों की आय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन कई बार इसमें देरी, बिचौलियों का हस्तक्षेप और किसानों के साथ धोखाधड़ी होती रही है. अब KCC को ब्लॉकचेन तकनीक से जोड़ने पर, MSP भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में जाएगा और हर लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड रहेगा, जिससे किसी भी प्रकार की हेरा-फेरी नहीं हो सकेगी.

इसके अलावा, किसान अब रियल-टाइम मंडी दरों को अपने KCC पोर्टल या मोबाइल एप से देख सकेंगे, जिससे वे यह तय कर पाएंगे कि सरकारी खरीद में अपनी फसल बेचनी है या किसी निजी व्यापारी को. इससे किसानों को बेहतर मोलभाव की शक्ति मिलेगी और उनकी आय में सुधार होगा.

वित्तीय साक्षरता और समावेशन की ओर एक बड़ा कदम

ग्रामीण भारत में सबसे बड़ी समस्या केवल क्रेडिट की उपलब्धता नहीं, बल्कि किसानों की वित्तीय जानकारी की कमी भी है. अधिकतर छोटे और सीमांत किसान बैंकों की प्रक्रियाओं, ऋण चुकाने की शर्तों और बीमा योजनाओं को नहीं समझते, जिससे वे महाजनों के शोषण का शिकार होते रहते हैं.

अब, आधार से जुड़ा और चिप-इनेबल्ड KCC कार्ड किसानों को सीधे मोबाइल संदेशों, एप्स और डिजिटल ट्यूटोरियल्स के माध्यम से उनकी वित्तीय जानकारी में वृद्धि करेगा. किसान अब अपनी क्रेडिट लिमिट, ब्याज दरों में बदलाव, ऋण पुनर्भुगतान योजनाओं और सरकारी सब्सिडी की जानकारी तुरंत प्राप्त कर सकेंगे.

इसके साथ ही, गांवों में डिजिटल बैंकिंग कियोस्क और कृषि सहायता केंद्रों के माध्यम से किसानों को डिजिटल लेन-देन, निवेश और बीमा योजनाओं की जानकारी दी जाएगी. इससे न केवल किसानों की वित्तीय समझ बढ़ेगी, बल्कि वे अपनी फसल और जीवन के लिए अधिक मजबूत वित्तीय निर्णय ले सकेंगे.

KCC: किसानों के लिए एक बहुउद्देशीय क्रेडिट कार्ड

आज जब शहरी उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकता है, तो क्यों न किसानों के लिए भी एक ऐसा ही साधन उपलब्ध हो? नया KCC अब सिर्फ कृषि ऋण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह किसानों के व्यक्तिगत उपभोग, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा.

अब KCC को UPI और डिजिटल भुगतान प्रणाली से जोड़ा जा रहा है, जिससे किसान बीज, उर्वरक, कृषि यंत्रों की खरीद से लेकर दैनिक जरूरतों तक के लिए डिजिटल भुगतान कर सकेंगे. यह गांवों में डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगा और किसानों को बैंकिंग से सीधे जोड़ने में मदद करेगा.

सहकारिता ढांचे के माध्यम से ग्रामीण ऋण प्रणाली को मजबूत करना

गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय के गठन से ग्रामीण वित्त को नया जीवन मिला है. अब देश के 63,000 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) को डिजिटल किया जा रहा है, जिससे गांव-गांव तक सस्ता और आसान ऋण पहुंच सके.

इसके अलावा, PACS को बहुउद्देशीय इकाइयों के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां किसान केवल ऋण नहीं लेंगे, बल्कि वहीं पर अपनी फसल बेचेंगे, बीज-खाद खरीदेंगे और भंडारण की सुविधा प्राप्त करेंगे. इससे बैंकिंग व्यवस्था पर निर्भरता घटेगी और स्थानीय स्तर पर सहकारी संस्थाएं अधिक प्रभावी बनेंगी.

निष्कर्ष: किसान क्रेडिट कार्ड - विकसित भारत की नींव

सोमपाल शास्त्री के नेतृत्व में 1998 में शुरू हुई किसान क्रेडिट कार्ड योजना आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में एक नए युग की ओर बढ़ रही है. यह केवल ऋण प्रदान करने का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह किसानों के लिए एक संपूर्ण वित्तीय पहचान बनने की ओर अग्रसर है.

अब समय आ गया है कि KCC को देश के सभी 14 करोड़ किसानों तक पहुंचाया जाए. इसके माध्यम से हर किसान को वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी, MSP प्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी, उत्पादन की योजना बेहतर होगी और किसानों की आय दोगुनी करने का सपना हकीकत बनेगा.

मुंशी प्रेमचंद के "गोदान" का किसान होरी यदि आज होता, तो वह शायद कहता, "अब मुझे कर्ज के डर से खेत गिरवी नहीं रखना पड़ेगा. मेरा श्रम अब मेरा सम्मान बनेगा. मेरा किसान क्रेडिट कार्ड अब मेरी असली पहचान है."

भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब किसान समृद्ध होगा. और KCC इस समृद्धि की कुंजी है. अब समय आ गया है कि इसे और सशक्त बनाया जाए और विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल किया जाए.

मुंशी प्रेमचंद के "गोदान" का किसान होरी यदि आज होता, तो वह शायद कहता, "अब मुझे कर्ज के डर से खेत गिरवी नहीं रखना पड़ेगा. मेरा श्रम अब मेरा सम्मान बनेगा. मेरा किसान क्रेडिट कार्ड अब मेरी असली पहचान है."

(लेखक वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉम‍िक फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष हैं)

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