ईरान और इजरायल के बीच जंग रविवार को उस समय और जटिल स्थिति में पहुंच गई जब अमेरिका ने भी हमला करके इसमें एंट्री कर ली. इजरायल के साथ तनाव के बीच ही ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का फैसला कर लिया है. ईरान के इस फैसले से भारत में भी चिंताएं बढ़ गई हैं. यह रास्ता भारत समेत दुनिया के 20 फीसदी ऑयल ट्रेड का एक अहम हिस्सा है. आशंका जताई जाने लगी है कि अब दुनियाभर में तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो फिर सब्जी और अनाज के दाम भी बढ़ सकते हैं और महंगाई का एक नया दौर कई देशों को देखना पड़ सकता है. वहीं भारत सरकार की तरफ से इस पूरे मामले पर एक अहम मीटिंग की गई है.
भारत अपनी 80 फीसदी से ज्यादा कच्चे तेल की जरूरतों को आयात करता है. उसके के लिए तेल की कीमतों में कोई भी वृद्धि चिंता का विषय है. तेल की ऊंची कीमतों का मतलब है ईंधन की ज्यादा लागत इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है. इससे सरकार के बजट पर भी दबाव पड़ता है क्योंकि सब्सिडी बढ़ती है और आयात बिल महंगा होता है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, 'भले ही होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की संभावना एक खतरा है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह हमेशा से केवल एक खतरा रहा है और जलडमरूमध्य को कभी बंद नहीं किया गया था. सच्चाई यह है कि होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से ईरान और ईरान के मित्र चीन को किसी और से ज्यादा नुकसान होगा.' तेल की ऊंची कीमतें उन भारतीय उद्योगों को भी प्रभावित कर सकती हैं जो ईंधन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं जैसे ट्रांसपोर्ट, एयरलाइंस और मैन्युफैक्चरिंग. कंपनियां बढ़ी हुई लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल सकती हैं, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं.
रविवार को कई लोगों ने इस बात की चिंता जताई थी कि अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर दिया तो भारत को तेल के संकट से गुजरना पड़ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो फिर देश में पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ेंगी और जिसकी वजह से महंगाई के भी बढ़ने की आशंका है. केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण बंद होने के कारण तेल की कीमतों की अनिश्चितता पर चर्चा की. उन्होंने कहा,' कीमतों के बारे में अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है. लंबे समय तक तेल की कीमत 65 से 70 के बीच थी. फिर यह 70 से 75 के बीच हो गई. सोमवार को जब बाजार खुलेंगे, तो होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने के परिणामों को ध्यान में रखा जाएगा.'
वहीं ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद तेल की कीमतें 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. पुरी ने संघर्ष के बावजूद ग्लोबल मार्केट में तेल की पर्याप्त उपलब्धता पर जोर दिया. लेकिन पुरी ने इस बात से चिंता न करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैं लंबे समय से कह रहा हूं वैश्विक बाजारों में पर्याप्त तेल उपलब्ध है. वैश्विक बाजारों में खास तौर पर पश्चिमी गोलार्ध से ज्यादा से ज्यादा तेल आ रहा है. यहां तक कि पारंपरिक आपूर्तिकर्ता भी आपूर्ति बनाए रखने में रुचि लेंगे क्योंकि उन्हें भी रेवेन्यू की जरूरत है. इसलिए उम्मीद है कि बाजार इस बात को ध्यान में रखेगा.'
पुरी ने भरोसा दिलाया कि भारत के लिए पर्याप्त तेल सप्लाई मौजूद है. उन्होंने बताया कि सरकार ने किस तरह अपने स्रोतों में विविधता लाई है. पुरी ने कहा, 'हमने सप्लाई सोर्सेज में विविधता लाई है. भारत में रोजाना खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से करीब 1.5-2 मिलियन बैरल होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते से आता है. हम बाकी रास्तों से करीब 4 मिलियन बैरल आयात करते हैं. हमारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है. उनमें से अधिकांश के पास तीन सप्ताह तक का स्टॉक है.जबकि एक के पास 25 दिनों का स्टॉक है. हम बाकी रास्तों से कच्चे तेल की सप्लाई ढ़ा सकते हैं. साथ ही सभी साझेदारों के साथ संपर्क में हैं.
यह भी पढ़ें-