त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले का दासपारा गांव देश का पहला बायो विलेज है. इस गांव में 64 फैमिली रहती है. इन परिवारों ने मिलकर गांव को आत्मनिर्भर बनाया है. गांव के लोग जैविक खेती, सौर ऊर्जा, बायोगैस प्लांट और दूसरी हरिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह से गांववालों का खर्च भी कम हो गया है और पर्यावरण भी सुरक्षित है.
जैविक खेती करते हैं गांववाले-
देश के पहले बायो विलेज की 75 फीसदी आबादी खेती और मछली पालन पर निर्भर है. लोग पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं. इसमें जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं. लोगों ने खेती में रासायनिक खाद और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को बहुत ही कम कर दिया है. इससे लोगों की सेहत के साथ पर्यावरण को भी फायदा हो रहा है. जैविक खेती से पैदावार भी बढ़ी है. इसके अलावा गांव के लोग मछली पालन और मधुमक्खी पालन करते हैं.
सौर ऊर्जा और बायोगैस का इस्तेमाल-
गांव के लोग हरित तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों और बायोगैस सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. पूरे गांव में सौर पैनल और बायोगैस सिस्टम लगाए गए हैं. गांववाले ऊर्जा की बचत करने वाले उपकरण का इस्तेमाल करते हैं. ऊर्जा से चलने वाले पंपों से खेतों की सिंचाई होती है. गांव के लोग घरों और खेतों को स्वच्छ ऊर्जा से संचालित कर रहे हैं. इससे गांववालों को फायदा हो रहा है. इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है और गांव की आबोहवा अच्छी रहती है. गांववाले साफ हवा में सांस ले रहे हैं.
क्या है बायो विलेज कॉन्सेप्ट-
साल 2018 में बायो विलेज 2.0 की स्थापना पहली बार की गई थी. जिसका मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना और गांवों को टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाना है. बाद में इस प्रोजेक्ट में कई बदलाव किए गए. इसमें जानवरों के बेहतर नस्लों का इस्तेमाल, सौर ऊर्जा से चलने वाले इक्यूपमेंट, ऊर्जा की बचत करने वाले इक्यूपमेंट और बायोगैस प्लांट को शामिल किया गया.
गांववालों को हो रहा आर्थिक फायदा-
बायो विलेज दासपारा में लोग आर्थिक तौर पर मजबूत हुए हैं. गांव के लोगों की इनकम भी बढ़ी है. गांव के हर परिवार को हर महीने 5 से 15 हजार रुपए अधिक इनकम हो रही है. गांव में टिकाऊ खेती के तरीकों में बढ़ोतरी हुई है. इस सिस्टम से आर्थिक मजबूती के साथ गांववालों की सेहत भी अच्छी रहती है. त्रिपुरा में अब तक 10 बायो-विलेज स्थापित किए जा चुके हैं. जबकि कई और गांवों को बायो विलेज बनाने की दिशा में काम चल रहा है.
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