एक तरफ ब्रिटेन के साथ भारत ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी FTA साइन कर लिया है तो वहीं अमेरिका के साथ अभी तक वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. दूसरी तरफ टैरिफ की समयसीमा भी नजदीक आती जा रही है. सूत्रों की मानें तो भारत, अमेरिका के लिए सोयाबीन और मक्के के बाजार को खोलने के लिए तैयार नहीं है. भारत इस मुद्दे पर अमेरिका की मांग के आगे झुकने को तैयार नहीं है क्योंकि देश जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) किस्म के आयात की अनुमति नहीं देता है. भारत का रुख साफ है कि वह किसी भी तरह से 'सिद्धांत के आधार पर' कोई समझौता नहीं करना चाहेगा.
अखबार बिजनेसलाइन ने इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले के हवाले से बताया है, 'भारत अमेरिका से सोयाबीन और मक्के के आयात की अनुमति नहीं दे सकता क्योंकि वो जीएम किस्म उगाते हैं. भारत ऐसे आयात की मंजूरी नहीं देता है और यह सिद्धांत का मामला है. हम इस पर समझौता नहीं कर सकते.' अमेरिका, दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) में भारत पर अपने कृषि क्षेत्र को खोलने के लिए दबाव डाल रहा है.अमेरिका खासतौर पर चाहता है कि भारत उसका सोयामील और मक्का खरीदे, जिससे भारत अब तक बचता रहा है क्योंकि यह ज्यादातर जीएम किस्म का होता है.
साल 2024 में, अमेरिका दुनिया में मक्के का सबसे बड़ा और सोयामील का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था. चीन और मेक्सिको इसके सबसे बड़े खरीदार थे, लेकिन दोनों देशों के बीच टैरिफ टकराव के अलावा चीन ने मक्के की सप्लाई के लिए ब्राजील का रुख कर लिया था. अब अमेरिका अपने बाजार में विविधता लाना चाहता है और भारत में उसकी रुचि है. भारत 1 अगस्त तक अमेरिका के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहा था ताकि उस दिन उसके निर्यात पर लगाए जा सकने वाले 26 प्रतिशत के पारस्परिक टैरिफ से बचा जा सके, लेकिन अब यह मुश्किल होता जा रहा है, एक अन्य सूत्र ने बताया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से 2 अप्रैल को ज्यादातर व्यापारिक साझेदारों पर घोषित पारस्परिक टैरिफ को 9 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया था. इसके बाद द्विपक्षीय समझौतों पर काम करने के लिए समय देने की मंशा से इसे फिर से 1 अगस्त तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया. इस साल की शुरुआत में, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत की कृषि आयात नीतियों की खुले तौर पर आलोचना की थी. उन्होंने पूछा था कि 1.4 अरब की आबादी वाला देश अमेरिका से मक्का का एक बुशल भी क्यों नहीं खरीद सकता है.
वहीं एक और सूत्रों की मानें तो समस्या यह है कि अमेरिका में उगाए जाने वाले 90 प्रतिशत से ज्यादा मक्का और सोयाबीन जीएम हैं. चूंकि जीएम और गैर-जीएम में अंतर करने का कोई तरीका नहीं है, इसलिए अमेरिकी सरकार इसे सर्टिफाइड नहीं करेगी. इसलिए, जब तक भारत अपनी जीएम आयात नीति पर कायम रहेगा, उसके लिए मक्का और सोयाबीन का आयात करना संभव नहीं है. भारत में जीएम अनाज, दालें, तिलहन, फल और इसी तरह के खाद्य/चारा उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं है. साल 2021 से, ऐसी 20 से ज्यादा उत्पाद श्रेणियों के लिए गैर-जीएमओ सर्टिफिकेशन अनिवार्य है जिसमें आकस्मिक उपस्थिति के लिए 1 प्रतिशत सहनशीलता स्तर शामिल है.
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